अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, शिमला। प्रदेश के कई जिलों में पिछले 2 दिनों से हो रही भारी बारिश ने जमका कहर बरपाया है। जगह-जगह हुए भूस्खलन की वजह से कई सड़कें बंद हो गई हैं, जिसके कारण लोग बाहरी दुनिया से कट गए हैं। वहीं भरमौर में कई स्थानों पर सड़कें टूट जाने से प्रशासन ने पवित्र मणिमहेश यात्रा रोकने का निर्णय लिया है। कोरोना के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि रक्षाबंधन के दिन लोग मणिमहेश नहीं जा पा रहे हैं। भारी तादात में लोग रास्ता खुलने का इंतजार में चंबा में ही रुके हुए हैं।
भरमौल में बादल फटने से हुई तबाही:
प्राप्त समाचार के मुताबिक, गुरुवार 11 अगस्त को भरमौर के प्राघंला नाला और आहला में बादल फटने की वजह से भारी तबाही हुई है। खराब मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन ने पवित्र मणिमहेश यात्रा रोकने का निर्णय लिया है। भरमौर के एसडीएम असीम सूद ने कहा कि जब तक सड़क मार्ग ठीक नहीं हो जाता और मौसम साफ नहीं हो जाता तब तक मणिमहेश यात्रा न करें। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील करते हुए कहा कि वो अपने-अपने घरों से बाहर न निकले।
मणिमहेश मेले का है विशेष महत्व:
देव भूमि हिमाचल में वैसे तो साल भर मेले, त्यौहार व जातरें होती रहती हैं। मगर चंबा मणिमहेश भरमौर मेले का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अमरनाथ यात्रा न कर सके, वह यहां आते हैं मणिमहेश की डल झील में लोग पवित्र स्नान करते हैं। हड़सर से 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई एवं समुद्र तल से 13500 फुट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश की डल झील एवं कैलाश दर्शन में भोलेनाथ के प्रति लोगों में इतनी श्रद्धा है कि मौसम एवं कड़ाके की शीतलहर के बावजूद लाखों की संख्या में शिव भक्त यहां आते हैं।
पीर पंजाल की पहाड़ियों से घिर हुआ है मणिमहेश:
दिलचस्प बात यह है कि पूरे रास्ते में हर आधे घंटे बाद मौसम बदलता रहता है। मणिमहेश पीर पंजाल की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। तो वहीं, डल झील के बारे में ऐसी ही कई किवदंती हिमाचल में प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी के बाद इस झील को बनाया था। यह झील दो भागों में बंटी हुई है। एक हिस्से को शिव कटोरी और दूसरे को गौरी कुंड कहते हैं। शिव कटोरी भगवान शिव के नहाने की जगह है और गौरी कुंड देवी पार्वती के नहाने की जगह है।
चंबा के जिलाधिकारी डीसी राणा ने बताया :
चंबा के जिलाधिकारी डीसी राणा ने बताया कि मणिमहेश यात्रा 19 अगस्त से 2 सितंबर तक आयोजित होगी। अभी जो लोग जा रहे हैं, उन्हें रोका जा रहा है। श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत हेलिटैक्सी को आज से शुरू किया जा रहा है। जो श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के माध्यम से पंजीकृत नहीं हुआ होगा उसे निर्धारित पंजीकरण स्थल पर ही पंजीकरण करवाना होगा। बिना पंजीकरण के किसी भी श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति नहीं रहेगी। वहीं, सड़क के किनारे किसी भी संस्था को लंगर लगाने की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी।