अनादि न्यूज़ डॉट कॉम,रायपुर। खरीफ सत्र 2023-24 में शासन द्वारा सोसायटियों के माध्यम से धान बेचने वाले किसानों के पंजीयन में अलग-अलग सोसायटियों में अलग-अलग मापदंड निर्धारित किये जाने से किसान परेशान हैं। कुछ सोसायटियों में पूर्व वर्ष में पंजीकृत किसानों का डाटा कैरी फारवर्ड करने फिर सभी दस्तावेजों की मांग की जा रही है तो कुछ में नहीं । पंजीयन हेतु आवेदन प्रस्तुत करने का अंतिम तिथि की भी स्पष्ट जानकारी किसानों को नहीं मिल रही। इसके साथ ही धान बेचने नामिनी घोषणा पत्र देने के निर्देश से भी किसान इसके औचित्य पर सवाल खड़ा कर रहे हैं । किसानों की इन समस्याओं को लेकर किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने सहकारिता मंत्री रविन्द्र चौबे को ज्ञापन प्रेषित कर किसानों को परेशानियों से बचाने अविलंब स्पष्ट निर्देश सोसायटियों को जारी कराने व पंजीयन की निर्धारित अंतिम तिथि की सार्वजनिक घोषणा की मांग की है ।
मेल से प्रेषित ज्ञापन में लिखा गया है शासन का स्पष्ट निर्देश है कि बीते वर्ष में पंजीकृत हो चुके किसानों का डाटा बिना किसानों से कोई दस्तावेज की मांग किये सोसायटियों द्वारा कैरी फारवर्ड किया जाना है बशर्ते किसान रकबे व फसल में संशोधन हेतु आवेदन न दें लेकिन इसके बावजूद कई सोसायटियों द्वारा सभी किसानों से फिर सभी दस्तावेजों की मांग की जा रही है जिससे किसान परेशान हैं । संभवतः सभी सोसायटियों के व्यवस्थापकों को एकरुप प्रशिक्षण न दिये जाने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न होने की जानकारी देते हुये संशोधन के अनिच्छुक किसानों से दस्तावेजों की मांग किये बिना आद्यतन पटवारी रिकॉर्ड के आधार पर उनका डाटा शासन के निर्देशानुसार कैरी फारवर्ड करने का स्पष्ट निर्देश सभी सोसायटियों के प्रभारियों को देने का आग्रह किया है ।
ज्ञापन में सोसायटियों से किसानों को पंजीयन की अंतिम निर्धारित तिथि की भी स्पष्ट जानकारी न मिलने की जानकारी देते हुये बतलाया गया है कि कई सोसायटियों द्वारा बीते 27 सितंबर को तो कई सोसायटियों द्वारा 28 सितंबर को व कई सोसायटियों द्वारा आसन्न 30 सितंबर को पंजीयन की अंतिम तिथि बतलाया जा रहा है । अंतिम तिथि 30 सितंबर निर्धारित होने की स्थिति में भी किसानों की समस्याओं को देखते हुये आगामी 15 अक्टूबर तक तिथि बढ़ाने का आग्रह किया गया है । किसानों द्वारा नामिनी घोषणा पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश पर भी सवालिया निशान खड़ा करते हुये लिखा गया है कि इसका औचित्य ही समझ से परे है । किसानों के खाते में अन्यों के धान बिक्री पर यदि रोक लगाना इसका उद्देश्य है तो फिर यह महज छलावा सिद्ध होगा क्योंकि कोई भी अन्य व्यक्ति किसी भी किसान के खाते में बिना उसके सहमति के धान नहीं बेच सकता क्योंकि धान विक्रय की राशि संबंधित किसान के खाते में ही जावेगा । इसके अतिरिक्त नामिनी की घोषणा करना प्रत्येक किसान के लिये आवश्यक है या फिर ग्राम में निवास न करने वाले किसानों के लिये यह भी स्पष्ट नहीं है । निकटतम रिश्तेदार को ही नामिनी बनाये जाने का निर्देश है पर ऐसे किसान जो न तो स्वयं और न ही निर्देशित रिश्तेदार ही ग्राम में निवास नहीं करते सहित रेग व अधिया लेने वाले किसानों के नामिनी किसे बनाया जावेगा इस संबंध में कोई निर्देश न होने से किसानों के साथ साथ सोसायटियों के प्रभारी भी सान्सत् में हैं । शर्मा ने चौबे से किसानों की परेशानी व संदेह को तत्काल दूर कराने प्रभावी पहल की मांग की है ताकि किसानों को पंजीयन में कोई परेशानी न हो व वे निर्विघ्न धान बेच सकें।