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श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) पार्टी के गोटाभाया राजपक्षे ने जीत हासिल कर ली है. कई सिंहलियों के लिए पूर्व रक्षा मंत्री गोटाभाया राजपक्षे देश के तारणहार हैं जिन्होंने तीन दशकों तक चले गृहयुद्ध में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल एलम (लिट्टे) का सफलतापूर्वक दमन करने में अहम भूमिका निभाई. राजपक्षे का मुकाबला निवर्तमान यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) सरकार में मंत्री रहे साजित प्रेमदास से था.

श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

लेकिन श्रीलंका के अल्पसंख्यकों के बीच गोटाभाया राजपक्षे की जीत से असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. सत्तारूढ़ सिंहली बौद्ध बहुसंख्यकों और तमिल अलगाववादियों के बीच दशकों तक चले गृहयुद्ध के दौरान कई तमिलों के रिश्तेदार मारे गए या लापता हो गए थे. उस वक्त रक्षा मंत्री रहे गोटाभाया राजपक्षे पर भी युद्ध अपराध के गंभीर आरोप लगे थे.

श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

श्रीलंका के मुस्लिमों को डर है कि बौद्ध चरमपंथी संगठनों जैसे बोडु बाला सेना (बीबीएस) या बौद्ध पावर फोर्स के साथ राजपक्षे की करीबी होने की वजह से उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है. इन चरमपंथी संगठनों ने लंबे समय से सिंहलियों को मुस्लिमों की दुकानों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया है.

श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

ईस्टर रविवार पर श्रीलंका में हुए आत्मघाती आतंकी हमलों की वजह से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़क गई थी. इस हमले के बाद बौद्ध-मुस्लिम समुदाय के बीच लंबे समय से कायम सौहार्दता एक झटके में दरकने लगी.

श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

राजपक्षे और प्रेमदास दोनों ने ही चुनाव जीतने के लिए अपनी सिंहल बौद्ध से जुड़ी पहचान को आगे किया लेकिन राजपक्षे अपने मुस्लिम केंद्रित सुरक्षा एजेंडा के साथ बाजी मार ले गए. श्रीलंका की कुल आबादी में 9 फीसदी मुस्लिम आबादी है.

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श्रीलंका में गोटाभाया राजपक्षे की जीत से क्यों डरे हुए हैं मुसलमान?

गोटाभाया राजपक्षे श्रीलंका की राजनीति में एक दशक से ज्यादा अपना वर्चस्व कायम रखने वाले राजपक्षे बंधुओं में से एक हैं. जब महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे तो गोटाभाया रक्षा मंत्री के पद पर थे.