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शीशम,,,,,, महिलाओं के लिए अमृत से कम नहीं है।

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, : शीशम का पेड़ काफी बड़ा वृक्ष होता है, जो औषधीय गुणों का भंडार है, इस पौधे में कई ऐसे पोषण तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं,इस पेड़ मे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं

हमारे आसपास ऐसे कई प्रकार के औषधीय पेड़ और झाड़ियां हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं,यह हमारे स्वास्थ्य को ठीक करने में अपना एक अहम योगदान रखते हैं, क्योंकि इन औषधीयों का आयुर्वेद में काफी बड़ा महत्व है।

जो पेड़ आसानी से हर जगह आपको देखने के लिए मिल जाएगा। इस पेड़ के फल, फूल, छाल और पत्तियां, हर चीज काफी महत्व है।
अगर पेट में जलन हो रही हो, तो शीशम के पत्तों का रस या काढ़ा पीना बहुत लाभदायक होता है।

और इसके पत्तों का शरबत पीने से सेहत को कई लाभ होते हैं, शीशम के पत्तों का शरबत बनाकर पीने से पाचन शक्ति बेहतर होती है, इसके साथ ही नियमित रूप से इसका सेवन करने से गैस, अपच और एसिडिटी में आराम मिलता है। इसका रस पीने से ओरल हेल्थ में सुधार होता है और जिन लोगों को मुंह से बदबू आती है या दांतों का दर्द व मसूड़ों में तकलीफ होती है, तो वो लोग भी इसके पत्तों को चबाकर समस्या ठीक कर सकते हैं।

आंखों की बीमारी जैसे आंखों में होने वाली जलन , सूजन आंखो का लाल होना इन सबमें में शीशम का इस्तेमाल फायदा पहुंचाता है। शीशम के पत्ते के रस में मधु मिलाकर 1-2 बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोग में आराम मिलता है।

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शीशम का तेल चर्म रोगों पर लगाने से लाभ पहुँचता है। इससे खुजली भी ठीक हो जाती है। शीशम के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिला लें। इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।

महिलाएं स्तनों में सूजन की बीमारी में भी शीशम का इस्तेमाल कर सकती हैं। शीशम के पत्तों को गर्म कर स्तनों पर बांधें। इससे और इसके काढ़े से स्तनों को धोने से स्तनों की सूजन मिट जाती है।

हैजा के इलाज के लिए 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिग्रा इलायची मिलाएं। इसे पीसकर 500 मिग्रा की गोली बना लें। 2-2 गोली सुबह और शाम देने से हैजा में लाभ होता है।

आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं।
अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से दस्त पर रोक लगती है।

मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में भी शीशम उपयोगी साबित होता है। 20-40 मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे दिन में 3 बार पिलाएं। इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में लाभ होता है। इसके साथ ही 10-20 मिली पत्ते काढ़ा का सेवन करने से वसामेह में लाभ होता है।

रक्त संचार को सही रखने में भी शीशम का प्रयोग करना अच्छा रहता है। 5 मिली शीशम के पत्ते के रस में 10 ग्राम चीनी तथा 100 मिली दही मिलाकर सेवन करने से रक्त संचार या ब्लड शर्कुलेशन ठीक रहता है।
रक्त विकार को ठीक करने के लिए शीशम के 3-6 ग्राम सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर पिलाएं। इससे रक्त विकार का ठीक होता है।
त्वचा रोगों के लिए फायदेमंद है,शीशम के पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से फोड़े, मुंहासे और फुंसियां दूर होती हैं। साथ ही यह त्वचा की रंगत को भी सुधारता है

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इंफेक्शन से बचाव में मददगार है,शीशम के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करते हैं।
शीशम का रस शरीर को अंदर से साफ करने यानी डिटॉक्स करने में मदद करता है। इससे शरीर हल्का महसूस होता है और त्वचा भी साफ दिखाई देती है।

अर्थराइटिस के दर्द में आराम जोड़ों के दर्द और सूजन में शीशम के पत्तों का काढ़ा पीने से राहत मिलती है। पत्तों का पेस्ट सीधे जोड़ों पर लगाना भी असरदार होता है।

चोट और घाव में राहत चोट लगने या घाव होने पर शीशम के पत्तों का पेस्ट लगाने से दर्द कम होता है और घाव जल्दी भरता है। यह प्राकृतिक हीलिंग में मददगार है।

महिलाओं के लिए शीशम बेहद गुणकारी है इसके 20 पत्ते लेकर मिश्री मिलाकर पीस लें और पी जाएं तो लिकोरिया सफेद पानी को खत्म कर देगा

अधिक माहवारी आती है तो भी यही प्रयोग करें लाभ होगा उसी तरह से पुरुषों के लिए काम करता है विधि वही है जो ऊपर वर्णित है

शीशम का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करें