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रविवार के दिन इस मंत्र के जप से होती है हर मनोकामना पूरी

गायत्री मंत्र का अर्थ (उस प्राणस्वरूप दुखनाशक सुखस्वरूप श्रेष्ठ तेजस्वी पापनाशक देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें). गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का तेज बढ़ता है और सब मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

गायत्री मंत्र में कितनी शक्ति

 है ?

गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में 24 देवता हैं। उनकी 24 चैतन्य शक्तियां हैं। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर 24 शक्ति बीज हैं। गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं।

गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में अलग-अलग

शक्तियां, मंत्र जाप से मिलता है ये लाभ

गायत्री मंत्र एकाग्रता में वृद्धि होती है तथा पढ़ने में मन लगने लगता है। इसके साथ ही मंत्र जाप से दरिद्रता दूर होती है।

यह बात मां गायत्री के अनन्य भक्त गायत्री मंत्र एवम् हवन 

विज्ञान में 8 सालों से रिसर्च कर मानव उपयोगी समाज के हित में लोगों के जीवन सफल बनाने में प्रयास रत श्री बिमलेन्द्र तिवारी ने कही।

श्री तिवारी ने कहा पारस कामधेनु वास्तव में गायत्री मंत्र ही है, उन्होंने बताया-

स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्तां पावमानी द्विजानाम् । आयुः प्राणं प्रजा पशुं कीर्ति द्रविणं ब्रह्मवर्चसम् ।। अथर्ववेद-19-71-1) अथर्ववेद में स्वयं वेद भगवान ने कहा है।

वेद माता गायत्री अपने साधक उपासक को दीर्घ आयु स्वस्थता संतति, यश, कीर्ति, गौ, द्रव्य, धन और ब्रह्मतेज प्रदान करती हैं तथा अंत में ब्रह्मलोक की प्राप्ति कराती हैं।

  • गायत्री मंत्र जप से भयंकर राक्छ्स पिशाच सर्प साधक के पास नहीं आते।
  • गायत्री मंत्र जप उपासक जिस को अपने नेत्रों से देखता है, आकर्षित करता है, वाणी से जो कुछ कहता है वह सब पवित्र हो जाते है।
  • जप से हमारे अंतः कर्ण में ईश्वर प्रेम जाग्रत होता है, जब व्यक्ति का अंतः karn शुद्ध होता है आत्मा में देवत्व जाग्रत होता है।
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गायत्री मंत्र के 24 अक्षर की अलग-अलग महिमा है। ऋषियों ने इन अक्षरों में बीज रूप में विद्यमान उन शक्तियों को पहचाना, जिन्हें 24 अवतार, 24 ऋषि, 24 शक्तियां तथा 24 सिद्धियां कहा जाता है। गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं। गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म का सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है।

जीवन को उन्नत सद्मार्ग में ले जाते है।
यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है। गायत्री मंत्र का जाप दिमाग को शांत रखता है। ऊँ के साथ इस मंत्र का उधाारण किया जाता है, जो दिमाग को सुकून देने वाली ध्वनि पैदा करता है। इससे एकाग्रता और सीखने की क्षमता भी बढ़ती है। मां गायत्री की नियमित पूजा-आराधना से आत्मशक्ति का अभ्युदय होता है। व्यक्तित्व का निर्माण होता है। सुख समृद्धि, दया भाव, आदर भाव की उत्पत्ति होती है।

क्रोधी शांत और ज्ञान में वृद्धि

गायत्री मंत्र के नियमित जाप से त्वचा में चमक आ जाती है। इस मंत्र के प्रभाव से क्रोधी शांत होते हैं। ज्ञान में वृद्घि होती है, आभा मंडल चमकने लगता है। नेत्रों में चमक आ जाती है। विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है। इस मंत्र के जाप से याददाश्त बढ़ती है। एकाग्रता में वृद्धि होती है तथा पढ़ने में मन लगने लगता है। इसके साथ ही मंत्र जाप से दरिद्रता दूर होती है।

रोगनाशक है गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र में संतान से संबंधित समस्या का भी समाधान है। संतान नहीं हो रही हो या संतान बीमार रहता हो, पढाई में कमजोर हो तो गायत्री यंत्र के सामने बैठा कर मंत्र जाप करें तो संतान संबंधी समस्या का हल हो जाएगा। किसी का विवाह नहीं हो रहा अथवा वैवाहिक जीवन में मतभेद हो जाए तो गायत्री मंत्र के जप के प्रभाव से वह समस्या दूर होती है। इसके साथ ही किसी भी प्रकार का रोग हो इस मंत्र के जाप से रोग दूर हो सकता है।

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रविवार के दिन इस मंत्र के जप से होती है हर मनोकामना पूरी

इस मंत्र से धन, विद्या, बुद्धि, सद्ज्ञान की होती है प्राप्ति

रविवार का दिन सूर्य भगवान और माँ गायत्री की पूजा उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन गायत्री मंत्र का जप करने से विद्या, बुद्धि और सदज्ञान की प्राप्ति के साथ अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। रविवार के दिन गायत्री मंत्र के जप के बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने से सभी कार्य सिद्ध होती है। ऋग्वेद में गायत्री महामंत्र का उल्लेख आता है कि इसे जपने या उच्चारण करने से जीवन प्रखर व तेजोमय बनता है। अगर कोई व्यक्ति इस महामंत्र को जीवन का एक अनिवार्य अंग बनाकर जप करते हैं तो उसके जीवन के सारे अभाव दूर हो जाते हैं एवं सफलता, समृद्धि और सिद्धि का स्वामी भी हो जाता है। प्रकाशपुंज वेदमाता गायत्री का मंत्र गायत्री मंत्र।

गायत्री महामंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

गायत्री महामंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या- इस मंत्र के पहले 9 शब्द ईश्वर के दिव्य गुणों की व्याख्या करते हैं।

  • सुबह बिस्तर से उठते ही अष्ट कर्मों को जीतने के लिए 8 बार गायत्री महामंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  • सुबह सूर्योदय के समय एकांत पूजा में बैठकर से 3 माला या 108 बार नित्य जप करने से वर्तमान एवं भविष्य में इच्छा पूर्ति के साथ सदैव रक्षा होती है।
  • भोजन करने से पूर्व 3 बार उच्चारण करने से भोजन अमृत के समान हो जाएगा।
  • हर रोज घर से पहली बार बाहर जाते समय 5 या 11 बार समृद्धि सफलता, सिद्धि और उच्च जीवन के लिए उच्चारण करना चाहिए।

 

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