अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, लंदन: मेलबोर्न और बाथ यूनिवर्सिटी की ताज़ा स्टडी में बताया गया की मानसिक दबाव वाले 71 % काम , जैसे खाने में वैरायटी , शेडयूल बनाना और वितीय प्लानिंग माएं संभालती हैं। रूटीन वाली 79% ज़िम्मेदारियों का प्रबंधन माओं पर ही होता है, जर्नल ऑफ मैरिज एंड फॅमिली में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक , ‘ मानसिक बोझ माओं का तनाव बढ़ा सकता है। इसका असर रिश्तों पर पड़ता हैं। चाहे डॉक्टर्स से अपॉइंटमेंट लेना हो, बर्थडे पार्टी या कोई आयोजन सारी ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही छोड़ दिया जाता है। एक्सपर्ट्स ने क्या सुझाव दिए है आईये जानते है।
- बच्चों को क्षमता अनुसार बाटें काम – घर के सभी सदस्य बराबर काम साझा करें। हफ्ते में एक दिन माओं को आराम दें।
- उनकी भावनाओं को साझा करें – माँ पर मानसिक बोझ सिर्फ घर तक ही सिमित नहीं हैं, बल्कि अगर वे कामकाजी महिला है तो उनके वर्कस्पेस और करियर में फर्क पड़ता है। उन्हें प्रोत्साहित करें की वे अपनी भावनाओं आपसे साझा करें ।
- एडवांस में करें प्लानिंग – फॅमिली थेरेपिस्ट ओर्नो गुरलनिक कहती हैं, अपने केलिन्डर के जरिए आप हफ्ते भर का शेडयूल पहले बना लें। जैसे काम या खाने की प्लानिंग एडवांस में करलें।
- परफेक्शन की उम्मीद न रखें – मानसिक स्वास्थ विशेषज्ञ जेसिका ग्रोगेन कहती हैं, माओं से हर चीज़ में परफेक्शन की उम्मीद न रखें। बच्चों , बुजुर्गों की देखभाल व पुरे घर की सफाई जैसे मेहनत वाले कामों की बहरी मदद ले।
- उनके किये गए कामों को सराहें – मनोवैज्ञानिक एना फ्राइड कहती है, माँ किसी भी काम में भावनात्मक और मानसिक ऊर्जा लगाती है। उनकी मेहनत को सराहें, उससे परिवार में समर्थन का मज़बूत आधार पैदा होता हैं।
- धीरे – धीरे रूटीन से हटाएँ – लाइफ कोच जोडी वेलमान कहती हैं, माओं को उनकी पसंदीदा या शौक से जुड़ी हुई चीज़ें हैं उनसे जोड़ें। खुद की देखभाल के लिए उन्हें वक्त दें। एक समय सीमा तय करें ताकि वे रूटीन से हैट सकें।