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भारत में वर्कप्लेस स्ट्रेस का स्तर काफी ज्यादा, कई स्टडीज में आ चुका है सामने

कई स्टडीज में सामने आ चुका है कि भारत में वर्कप्लेस स्ट्रेस का स्तर काफी ज्यादा है. एक हालिया स्टडी के अनुसार अन्य विकासशील देशों की तुलना में 82 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी वजह से तनाव में हैं. इन वजहों में स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और कामकाज समेत अन्य फैक्टर्स शामिल हैं. एक प्राइवेट फर्म द्वारा किए गए एक सर्वे में मेट्रो शहरों के 56 प्रतिशत लोगों का मनना था कि वे काम के लिए जाते हुए रोड रेज का शिकार होकर मर सकते हैं.

16 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्हें सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे ड्राइवर या ट्रैफिक पुलिस पर जल्दी गुस्सा आ जाता है. इसके अलावा तनाव के बड़े कारणों में सोशल मीडिया, वर्क-लाइफ बैलेंस और पड़ोसियों से अनबन शामिल है. 68 पर्सेंट लोगों ने माना कि अगर वाई-फाई कनेक्शन अचानक चला जाए तो वे गुस्से में आ जाते हैं. 63 पर्सेंट लोगों का कहना है कि अगर कोई बिना उनसे पूछे उनका फोन चार्जिंग से हटा देता है तो वे आपा खो देते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अलग-अलग लोगों में स्ट्रेस का लेवल अलग-अलग होता है. उनके शरीर पर भी इसका अलग असर पड़ता है.

किसी का स्ट्रेस की वजह से पाचन तंत्र कमजोर होता है, तो किसी की नींद पर असर पड़ता है और किसी का सिरदर्द या मूड स्विंग होता है. सभी को अपने स्तर पर इसे मॉनिटर करना चाहिए और देखना चाहिए कि वह किस वजह से तनाव में हैं और उनपर इसका प्रभाव कैसे पड़ रहा है. मॉर्निंग वॉक, एक्सरसाइज, मेडिटेशन और ट्रैवलिंग जैसी ऐक्टिविटीज आपके स्ट्रेस को कम करने में काफी मदद कर सकती हैं. यहां बता दें कि स्ट्रेस हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है. खासकर, वर्कलाइफ में तनाव बहुत ही आम हो गया है. हालांकि, यह तनाव कई तरह की बीमारियों का कारण है. तनाव से दिल की बीमारी, डायबीटीज, मोटापा, अस्थमा और पेट की कई बीमारियां हो सकती हैं.

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