कार्तिक कृष्ण द्वादशीयुक्त-त्रयोदशी पर आज धनतेरस (Dhanteras Puja Muhurat) के साथ ही पंचपर्व दीपोत्सव (Diwali) शुरू हुआ। सुबह से ही बाजार में धनतेरस का उल्लास शुरू हो चुका हैं। बाजार में दुकानें सज चुकी हैं और दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। शहर में धनतेरस (Dhanteras) पर ज्वैलरी, बर्तन और वाहनों की खरीदारी प्रमुख तौर पर की जाती है, सबसे अधिक भीड़ इन्हीं दुकानों पर नजर आती है। सुबह से ही दुकानें खुल गईं और खरीदारी शुरू हो गई। शाम को धनतेरस (Dhanteras) के निमित्त दीपदान होगा।बता दें कि पंचांग की गणना के अनुसार इस बार धन त्रयोदशी (Trayodashi) का आरंभ 25 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 38 मिनट पर होगा। त्रयोदशी (Trayodashi) 26 अक्टूबर की शाम 3 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। सूर्यास्त के पश्चात अकाल मृत्यु से बचने के लिए घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर 4 बातियों का दीप दान यानि दीप का प्रज्जवलन करना चाहिए। रात्रि में आरोग्य प्राप्ति के लिए भगवान धनवंतरी (Lord Dhanvantari) तथा समृद्धि के लिए कुबेर (Kubera) के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन (Worship of laxmi ganesh) करके भगवती लक्ष्मी (Laxmi pooja) को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अर्पित करना चाहिए।
Brass and silverके बर्तन खरीदना शुभ
ज्योतिषविदों के अनुसार धनतेरस (Dhanteras) पर नई वस्तुएं खरीदने की परंपरा रही है। विशेषकर पीतल व चांदी (Brass and silver) के बर्तन खरीदना शुभ माना गया है। इससे धन संपदा में वृद्धि होती है। धनतेरस (Dhanteras) पर व्यापारी अपने कारोबार को चलाने के लिए नई बहियां खरीदते हैं। शाम को आरोग्य व समृद्धि की बढ़ोतरी के लिए घर की देहरी के बाहर दक्षिणमुखी होकर यम के निमित्त दीपदान किया जाएगा। अकाल मृत्यु से बचने के लिए भी इस दिन दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है।
कल मनाया जाएगा रूप चौदस का त्योहार
अगले दिन शनिवार को नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का त्योहार मनाया जाएगा। शाम को नरक चतुर्दशी के निमित्त दीपदान होगा। वहीं, 27 अक्टूबर, रविवार को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इसके अगले दिन 28 अक्टूबर, सोमवार को अन्नकूट महोत्सव और 29 अक्टूबर, मंगलवार को भैया दूज (Bhaiya dooj)का पर्व मनाया जाएगा। इस बार चतुर्दशी दो दिन होने से रविवार को अरुणोदय काल में रूप चौदस निमित प्रभात स्नान और दीपदान होगा। इसी दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि आ जाएगी, ऐसे में शाम को प्रदोषकाल में ही दीपावली (diwali) मनाई जाएगी। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा