अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 32 बिस्तर का पल्मोनरी वार्ड का बुधवार को डॉ. नितिन एम नागरकर ने शुभारंभ किया। इसमें प्रदेश की पहली स्लीपिंग लैब तैयार की गई है जहां खर्राटों और श्वास में आ रही दिक्कतों का इलाज किया जाएगा। वहीं फेफड़े की बीमारी से संक्रमित मरीजों को भी इससे लाभ मिलेगा। इसमें गंभीर मरीजों के लिए चार-चार बिस्तर का अलग से वेंटिलेटर की सुविधा भी दी गई है। ताकि खर्राटे और फेफड़ों की बीमारी का आसानी से इलाज हो पाएगा। अभी तक पल्मोनरी विभाग केवल ओपीडी में संचालित किया जा रहा था। मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण अलग से वार्ड खोला गया है।
ब्रांकोस्कोपी मशीन से होगा इलाज
एम्स हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. करन पीपरे ने बताया कि गले से लेकर फेफड़े की जांच के लिए अलग से ब्रांकोस्कोपी मशीन चालू की गई है। साथ ही मल्टी पैनल मॉनिटर सिस्टम भी लगाया गया है, ताकि मरीज के फेफड़े से संबंधी बीमारी का भी इलाज किया जा सके। इसमें फेफड़े के संक्रमित मरीज जैसे टीबी और अन्य बीमारियों का आसानी से इलाज किया जा रहा है। पहले ही दिन 50 मरीजों का इलाज प्रारंभ किया गया है।
खर्राटों के इलाज के लिए खोला गया स्लीपिंग सेंटर
एम्स प्रबंधन ने बताया कि श्वास नली में दबाव बनने के लिए कई मरीजों को खर्राटे की शिकायत हो जाती है। उक्त मरीजों के लिए स्लीपिंग सेंटर यानी खर्राटे डिडेक्शन मशीन लगाई गई है। जो मरीज में हो रही खर्राटों के परेशानी की जांच करेगी। इसमें मरीज के जुबान की मोटाई, शरीर का मोटापा, शराब की शरीर में मात्रा की जांच कर रिपोर्ट देगी।
15 का स्टाफ किया गया तैनात
विभाग में 15 का स्टाफ हैं। इसमें विभागाध्यक्ष डॉ. अजय बेहरा, सीनियर डॉ. दीवाकर साहू, एसआर, कंसलटेंट और अन्य कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। उक्त वार्ड डी ब्लॉक में है।
डॉ. नितिन एम नागरकरण (निदेशक, एम्स) के अनुसार खर्राटों का कारण-निवारण
कारण
– लंबाई और ऊंचाई से ज्यादा शरीर का वजन
– निरंतर शराब का सेवन और धु्रमपान
– मरीज की जुबान का औसत अनुमान से ज्यादा मोटाई
– उम्र की अधिकता (60 की उम्र से ऊपर )
– एलर्जी और ऑक्सीजन की कमी
निवारण
– स्लीपिंग लैब में मरीज की 24 घंटे श्वास की निगरानी
– मशीन के माध्यम से शरीर में जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा की जांच
– सीपीएपी मशीन के माध्यम से रात को सोने के बाद शुद्घ ऑक्सीजन देना
एम्स निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने स्लीपिंग लैब और पल्मोनरी विभाग के वार्ड का शुभारंभ किया है। उक्त विभाग में खर्राटों के मरीज और फेफड़ों के संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाएगा। – डॉ. करन पीपरे, हॉस्पिटल अधीक्षक, एम्स