छत्तीसगढ़ में अब शराबबंदी छोड़ सरकार शराबियों की गिनती कराने जा रही है. बता दें कि शराबबंदी के लिए बनी प्रशासकीय समिति की बैठक में कई सदस्यों ने शराबियों की गणना करने का सुझाव पेश किया है. इसे लेकर सरकार की दलीली है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार शराबबंदी की ओर आगे बढ़ेगी. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के चुनावी वादों में एक अहम वादा शराबबंदी का भी था. अब इस वादे को पूरा करने के लिए एक नया पैंतरा आजमाने की कोशिश सरकार करने वाली है. सत्ता में आने के बाद भी कई सार्वजनिक मंचों से खुद सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने भी प्रदेश में शराबबंदी की बात को दोहराया है. इसके लिए सरकार ने बकायदा एक कमेटी का भी गठन किया है, जो देश के अन्य राज्यों में हुई शराबबंदी की वर्तमान स्थिति और उसके परिणामों की समीक्षा कर एक रिपोर्ट तैयार करने में जुटी हुई है. वहीं इसके साथ ही इसे लेकर बनाई गई एक और कमेटी छत्तीसगढ़ में शराबियों की गिनती करेगी.
राजनीति भी जोरों पर
शराबबंदी को लेकर सूबे में काफी समय से राजनीति चल रही है. पूर्ण शराबबंदी नहीं होने से विपक्ष ने कई बार सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. तो वहीं सत्तापक्ष ने भी इसे लेकर कई दलील दिए हैं. अब सरकार ने शराबबंदी के परिणामों की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. अब सामान्य शराबबंदी कमेटी के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा का कहना है कि नशे के आदि लोगों की हालत जल बिन मच्छली के समान हो गई है. नशा मुक्ति केंद्र की संख्या बढ़ाने का सुझाव भी हमने सरकार को दिया है. इन आंकड़ों को शराब दुकानों से ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस कार्य में सहयोग करना चाहिए.
बीजेपी ने लगाया ये आरोप
यानी अब सरकार की एक कमेटी प्रदेश में शराब पीने वाले शराबियों की गिनती कर, इस बात का अंदाजा लगाएगी कि शराबबंदी से इन शराबियों पर किस तरह का असर होगा. इधर बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधते हुए शराबियों की गणना को राज्य का अपमान बताया है. बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि सरकार का ये उपाय शर्मनाक है. कभी भी ये प्लान धरातल पर सफल नहीं हो पाएगा. सरकार की ये योजना बिलकुल बेतुकी है.