छह माह के पीयूष कुंदु का लिवर पूरी तरह से फेल हो चुका था। उसे लाखों में एक बच्चे को होने वाली जन्मजात बीमारी ‘बिलारी अत्रिसिया’ (पित्त संबंधी समस्या) थी। इस बीमारी में लिवर डैमेज होने के साथ ही वह धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है। पीयूष के पास सिर्फ छह से आठ महीने ही थे, लेकिन समय पर एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती चली गईं और पीयूष का सफल लिवर ट्रांसप्लांट हो गया। वह पूरी तरह से सुरक्षित है। इस पूरे प्रकरण में खास बात यह कि ट्रांसप्लांट के 15 लाख रुपये की व्यवस्था होना। यह राशि सिर्फ एक दिन में जुटाई गई।
फॉर्टिस हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. स्वप्निल शर्मा बताते हैं कि यह एक ड्राइव (मुहिम) थी, जिसमें पीयूष के परिजनों के अलावा उनके रिश्तेदारों, माता-पिता के दोस्तों और स्थानीय निवासी आशीष श्रीवास्तव, डीएस अहलुवालिया ने राशि जुटाने में सोशल मीडिया में मुहिम चलाई। पीयूष की नानी ने उसे लिवर डोनेट किया और मुंबई में 10 अक्टूबर को सफल सर्जरी हो गई। पीयूष के अभिभावकों का कहना है कि हर व्यक्ति को दूसरों की मदद के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि न जाने किसकी मदद से किसकी जिंदगी बच जाए।
अलर्ट भी रहना जरूरी है- फेसबुक, वॉट्सएफ पर कई ऐसे मैसेज भी चलते हैं, जिनमें मरीज की तस्वीर पोस्ट रहती है। बीमारी समेत अन्य तमाम जानकारी उल्लेखित होती है। नीचे फोन नंबर, बैंक अकाउंट नंबर भी लिखा होता है। कई बार ऐसे प्रकरणों में ठगी के मामले भी सामने आए हैं, इसलिए पूरी पुष्टि होने के बाद ही पैसा दें।