गुरुवार को पड़ने वाले सूर्यग्रहण का कितना व्यापक असर होगा। यह समाज व देश-दुनिया पर कितना प्रभाव डालेगा। इस दौरान किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। किस तरह के काम करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान व्याप्त होने वाली अफवाहों का सच कितना प्रभावी है। इन सब पर विस्तृत बातचीत में बक्शी का तालाब स्थित श्री शक्ति पीठ शनि धाम के पुजारी श्री नरेश चंद्र रुवाली ने जानकारी दी।
श्री रुवाली कहते हैं कि 26 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्यग्रहण पूरे भारत पर अपना प्रभाव डालेग। यह प्रात: 8.०० बजे से शुरू होकर दोपहर 1.36 बजे तक प्रभावित रहेगा। जिसका सूतक काल बुधवार को रात 8.०० बजे से ही शुरू होगा। मंदिरों के कपाट शाम 7.45 बजे से बंद हो जायेगा। सूर्यग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 36 मिनट की है। उन्होंने बताया कि जिसके तहत मंदिर के कपाट और पूजा का कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। ये सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में बनेगा इसलिए व्यक्तिगत रूप से धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ेगा। यह ग्रहण भारत समेत यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा।
26 दिसंबर को होने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव किसी सामान्य सूर्य ग्रहण के मुकाबले बहुत ज्यादा तीव्र होगा क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के समय धनु राशि में एक साथ छह ग्रह (सूर्य, चन्द्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु) का योग बनेगा जिससे इस सूर्यग्रहण का प्रभाव बहुत ज्यादा और लंबे समय तक रहने वाला होगा।
श्री रुवाली बताते हैं कि बालक, वृद्ध और रोगी 26 दिसंबर को सुबह 5 बजे तक अगर कुछ खाना चाहें तो खा सकते हैं। ग्रहण काल में सबसे ज्यादा सावधानी गर्भवती महिलाओं को रखनी चाहिए। इस दौरान वे सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं और गर्भस्थ शिशु पर ग्रहण काल का विपरीत असर पड़ सकता है।
घर में रखे पानी में कुशा डाल देनी चाहिए। इससे पानी दूषित नहीं होता है। कुशा न हो तो तुलसी का पौधा शास्त्रों के अनुसार पवित्र माना गया है। वैज्ञानिक रूप से भी यह तर्कसंगत है क्योंकि इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट आसपास मौजूद दूषित कणों को मार देते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थ में डालने से उस भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होता।
ग्रहणकाल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें। सूतक के समय भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है। देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय में भगवान का ध्यान और भजन करना चाहिए। मंत्रों का उच्चारण करें। ग्रहण समाप्ति के बाद घर पर गंगाजल का छिड़काव करें। सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद न करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।