एनटीपीसी का कोल परिवहन विवाद पूर्व ठेकेदार एवं कंपनी के बीच विवादों में उलझ गया है। वर्तमान में रैक लगने के बाद भूपदेवपुर कोल साइडिंग से10 किमी दूर स्थित धर्मकांटे में कोयले का तौल हो रहा है लेकिन इसमें परिवहन के दौरान कोयले में मिलावट करने के आरोप परिवहन कर रही कंपनी एवं एनटीपीसी पर लगे हैं।
देश की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के लारा एनटीपीसी के अधिकारियों पर मिलीभगत कर कोयले में अफरा-तफरी करने का आरोप लगा है। लारा स्थित एनटीपीसी के लिए भूपदेवपुर सरकारी रेलवे साइडिंग से कोल परिवहन का ठेका इस बार कोलकाता की गोदावरी कंपनी को मिला है। परिवहन ठेका होने के बाद भूपदेवपुर रेलवे साइडिंग पर एनटीपीसी की जो रेक आयी, वह साइडिंग पर खाली होती रही।
जिसके बाद ट्रेलरों में कोयला लोडकर साइडिंग से करीब 10 किलोमीटर दूर कांटा कराने के बाद उसे लारा एनटीपीसी ले जाया गया। इस दौरान मिलावट और अफरा-तफरी की बात सामने आ रही है। जिसकी शिकायत भी एनटीपीसी के अधिकारियों को की गयी है। लेकिन शिकायत के बाद दोषियों पर कार्यवाई नहीं की गई है।
सरकारी साइडिंग से परिवहन करने के दौरान रास्ते में निजी जमीन के मालिक द्वारा भी विरोध किया जा रहा था। इस वजह से भी इसमें दिक्कतें आ रही थी। चर्चा यह है कि निजी साइडिंग पर लोडिंग- अनलोडिंग के दौरान एनटीपीसी का कोई अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं रहता है और साइडिंग से कोयला ट्रेलर में मिक्सकर एनटीपीसी काटा ग्राउंड में खाली करने के बजाय सीधे हापर (बकट) में डाला जाता है। जिससे मिक्स कोयला का पता न चल सके और यह अफरा तफरी चलती रहे।
विवादों में क्यों ट्रांसपोर्टिंग
भूपदेवपुर में गोदावरी से पहले रायगढ़ के कोलकिंग के पास ही परिवहन का ठेका था लेकिन इस बार एनटीपीसी ने कोलकाता की गोदावरी को इसका जिम्मा दिया है। ऐसे में पूर्व के परिवहन ठेकेदार द्वारा अपने धर्मकांटा का उपयोग करने से एनटीपीसी को मना कर दिया गया था और निजी जमीन से वाहनों की आवाजाही का भी विरोध किया था। जिसके बाद कंपनी भी 10 किमी दूर ओमेक्स के धर्मकांटा से तौल कराने के बाद डिस्पैच कर रही थी। विवाद का एक कारण इसे भी बताया जा रहा है।