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इस एकादशी से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जाने व्रत पूजा एवं विधि

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म-दर्शन। Mokshada Ekadashi 2022: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के संबंध में कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूर्ण भक्ति भाव से इस एकादशी का व्रत रखता है उसे संपूर्ण सुख और भोग प्राप्त होते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। इसी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।

मनुष्य जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है

पद्मपुराण में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें मोक्षदा एकादशी व्रत के संदर्भ में बताते हैं इस एक एकादशी का व्रत पूर्ण भक्ति भाव से करने वाला मनुष्य जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। इस दिन तुलसी की मंजरी से भगवान दामोदर का पूजन करने से अनजाने में हुए बड़े से बड़े पापों का भी नाश हो जाता है। इस दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हुए श्रीहरि के नाम का संकीर्तन करें। पूर्वकाल में वैखानस नामक राजा ने पर्वत मुनि के आदेशानुसार अपने पितरों की मुक्ति के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल मोक्षदा एकादशी का व्रत किया था। व्रत के प्रभाव से राजा के पितरों का नरक से उद्धार हो गया था और वे सभी बैकुंठ लोक को गए थे।

मोक्षदा एकादशी व्रत-पूजा

  • मोक्षदा एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर भगवान श्री दामोदर का पूजन करें।
  • पूजा में घी के दीये का प्रयोग करें और दीये में थोड़ा सा खड़ा धनिया डाल लें। तुलसी की मंजरी दामोदर को अर्पित करें, मिष्ठान्न और फलों का नैवेद्य लगाएं।
  • मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा सुनें।
  • इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • चंदन की माला से श्रीकृष्ण दामोदराय नम: या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • इस दिन कमलगट्टे की माला से ऊं महालक्ष्म्यै नम: का जाप करने से अष्टलक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
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एकादशी कब से कब तक

  • जो लोग 3 दिसंबर को एकादशी करेंगे वे व्रत का पारण 4 दिसंबर को दोपहर 1.22 से 3.32 तक करेंगे।
  • जो लोग 4 दिसंबर को एकादशी करेंगे वे व्रत का पारण 5 दिसंबर को प्रात: 6.53 से 9.03 तक करेंगे।