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इंग्लैंड में सूखे की घोषणा, 87 साल बाद भीषण अकाल जैसे हालात, लंदन में पानी के लिए हाहाकार

लंदन। इंग्लैंड में आज आधिकारिक तौर पर सूखे की घोषणा कर दी गई है। वहां 87 साल बाद हालात इतने बेकाबू हो गए हैं। फसलें सूख गई हैं। लंदन जैसे शहर में पानी केलिए हाहाकार मच रहा है। लोगों से पानी संभल कर खर्च करने को कहा गया है। पानी की एजेंसियों से तत्काल लीकेज बंद करने को कहा जा रहा है। किसान परेशान हैं। उन्हें सर्दियों के लिए बचाकर रखे चारे का इस्तेमाल करने की नौबत आ गई है। देश पहले से ही ऊर्जा संकट की वजह से पैदा हुई महंगाई की मार झेल रहा है। उसपर से भयानक गर्मी की वजह से पड़े सूखे ने बेचैनी बढ़ा दी है।

इंग्लैंड सूखे की घोषणा इंग्लैंड में आधिकारिक रूप से शुक्रवार को सूखे की घोषणा की गई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक और हीटवेव की आशंका के बीच सरकारी पर्यावरण एजेंसी की ओर से यह घोषणा की गई है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पानी की कंपनियों ने घरों में इसके इस्तेमाल पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। पानी के लिए हाहाकार मचने लगा है। शुक्रवार को नेशनल ड्राउट ग्रुप की एक बैठक के बाद इंग्लैंड के पश्चिमी, दक्षिणी, केंद्रीय और पूर्वी इलाकों को ‘सूखा’ क्षेत्र घोषित किया गया है। इंग्लैंड में वैसे बूंदा बांदी होती रहती है। लेकिन, 87 साल बाद वहां इतना शुष्क मौसम देखा जा रहा है।

1935 के बाद इतना शुष्क हुआ मौसम मौसम विभाग के मुताबिक 1935 के बाद इंग्लैंड में इतना शुष्क मौसम देखा जा रहा है। यह देश इसबार हीटवेव और गर्मी के मौसम में पानी की सप्लाई की दिक्कतें झेलने को मजबूर हुआ है। नेशनल ड्रॉउट ग्रुप के प्रमुख हार्वे ब्रैडशॉ ने कहा, ‘हम जो मौजूदा उच्च तापमान अनुभव कर रहे हैं,उसने वन्यजीवों और हमारे जल पर्यावरण पर दबाव बढ़ा दिया है।’ जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हुए मौसम संकट ने अब वहां के बुनियादी ढांचे को तो कमजोर किया ही है, बल्कि दैनिक जीवन को भी संकट में डाल दिया है।

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कई मोर्चों पर संकट का सामना करना रहा है यूके दरअसल, इस समय यूनाइटेड किंगडम कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है। ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने लाखों घरों की दिक्कतें बढ़ा रखी हैं, अर्थव्यस्था कमजोर पड़ रही है और बढ़ती महंगाई की वजह से ठंड के दिनों में जीना मुहाल होने का डर पैदा हो गया है। वैसे सूखे की समस्या का सामना अकेले इंग्लैंड नहीं कर रहा है। यूरोपियन ड्रॉउट ऑब्जर्वेटरी का कहना है कि जुलाई के आखिरी के आंकड़ों के मुताबिक यूरोपियन यूनियन के 47% देश सूखे की चेतावनी झेल रहे हैं और 17% अलर्ट पर हैं। फ्रांस के रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा सूखा है और वहां जंगलों की आग की घटनाएं चरम पर हैं। जर्मनी के कुछ जंगलों में भी आग के जोखिम की चेतावनी जारी की गई है। इटली में भी हालत बहुत ही भयानक हैं।

यह सूखा बहुत ही गंभीर है- ऋषि सुनक टोरी पार्टी के नेता और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के दावेदार ऋषि सुनक ने शुक्रवार को टाइम्स रेडियो से कहा कि ‘यह सूखा बहुत ही गंभीर है।’ उन्होंने कहा कि ‘और ये वास्तव में इस बात पर प्रकाश डालता है कि हमें क्या करने की जरूरत है, हमारी जल कंपनियां लीक को ठीक करने के लिए अपने सभी जिम्मेदारियों को पूरा कर रही हैं।’ लंदन के मेयर सादिक खान ने लंदनवासियों से और जल कंपनियों से कहा है कि शहर में पानी बचाने में मदद करें। उन्होंने कहा, ‘मैं पानी कंपनियों से अनुरोध कर रहा हूं कि लीक को रोकने के लिए तेजी से कार्य करें, जिससे हर दिन लाखों गैलन पानी बर्बाद हो रहा है। वहीं लंदनवासी भी घर पर जितना संभव हो सके पानी बचाकर अपना रोल निभा सकते हैं।’

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कई नदियों का जलस्तर सबसे निचले स्तर पर ज्यादा तापमान और पानी की सप्लाई में दिक्कतों के चलते ब्रिटेन का कृषि उद्योग भी तबाह हो रहा है। कुछ नदियों का जलस्तर अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। नेशनल फार्मर्स यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट टॉम ब्रैडशॉ ने कहा, ‘सभी कृषि क्षेत्र में जमीनी हालात लगातार बहुत ही चुनौतिपूर्ण बने हुए हैं।’ उनके मुताबिक, ‘कई किसानों को सिंचाई के पानी की किल्लत से लेकर पर्याप्त घास न होने और जाड़े के दिनों के चारे का उपयोग करने जैसे गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।’ (तस्वीरें- ट्विटर वीडियो)