देश में नागरिकता संशोधन कानून लाने के बाद असम समेत पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों की मांग है कि इस कानून को वापस लिया। इसी बीच इनका नेतृत्व करने वाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने हिंदू और मुस्लिमों को लेकर ऐसा बयान दिया है जिससें वहां पर विरोध प्रदर्शन तेज हो सकते हैं। इस संगठन ने कहा है कि असम में प्रदर्शनकारी अलग-अलग पृष्ठभूमि और धर्म से आते हैं लेकिन शहर के प्रदर्शन स्थलों और राज्य के कई हिस्से में वे नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ एकजुट हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह असम की संस्कृति और पहचान पर ‘हमला’ है। इनका आरोप है कि यह विधेयक ‘असम समझौते के खिलाफ’ है जिसे असम के मूल लोगों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था।
असम अकॉर्ड के लिए नेतृत्व ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने किया था जिसके बाद 1985 में असम समझौता हुआ था। राज्य भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व भी AASU ही कर रहा है। गुवाहाटी से जोरहाट और डिब्रूगढ़ से शिवसागर तक प्रदर्शनों के कारण राज्य में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। उनकी मांग है कि ‘CAA खत्म किया जाना चाहिए’ अन्यथा आंदोलन तेज किया जाएगा।
इन लोगों का कहना है कि अब CAA से ऐसे ज्यादा लोग आकर उनके राज्य में बस जाएंगे जिनका यहां से लेना देना नहीं है। संगठन के लोगों का कहना है कि हम किसी के खिलाफ नहीं है लेकिन जब हम असमिया लोग ही रोटी, छत और रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो क्या ज्यादा लोगों का बोझ उठाया जा सकता है?
इनका मानना है कि अवैध अप्रवासियों के ज्यादा संख्या में आने से डेमॉग्रफी पर और साथ ही मूल असमिया संस्कृति को भी नुकसान होगा, चाहें वे किसी भी संख्या में हो। कहा गया है कि असम अवैध अप्रवासियों का डंपिंग ग्राउंड नहीं हो सकता, चाहे हिंदू या मुस्लिम या किसी और धर्म के। इसलिए संगठन इसका कड़ा विरोध कर रहा है।