Janakpuri Dham ( विवाह पंचमी): मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन भगवान श्रीराम और मां सीता का विवाह संपन्न हुआ था, इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाते हैं। आज का दिन केवल भारतीयों के लिए ही खास नहीं है बल्कि ये दिन नेपालवासियों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस जगह पर प्रभु श्रीराम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़ा और जिसके बाद सीता मां ने उनके गले में वरमाला पहनाई थी, वो स्थान इस वक्त नेपाल में है, जिसे कि जनकपुरी धाम के नाम से जाना जाता है।
रामायण में भी जनकपुरी धाम का जिक्र
यहां पर विवाह पंचमी के अवसर पर पूरे पांच दिन का उत्सव होता है। रामायण में भी इस जगह का जिक्र है। माना जाता है कि इसकी स्थापना 18वीं सदी में हुई थी। आज जनकपुर नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र है, हिंदुओं के लिए ये तीर्थ स्थल है।
विधेय राजवंश की राजधानी पौराणिक कथाओं के मुताबिक इसी जगह पर जनक जी को हल जोतते हुए संदूक में सीता मईया एक बच्ची के रूप में मिली थीं, जिन्हें उन्होंने अपनी बेटी माना था। इसलिए यह धरती बेहद पावन है। राजा जनक का महल यहीं था और विधेय राजवंश की राजधानी हुआ करती थी।
श्रीराम की ससुराल
आपको बता दें कि जनकपुर काठमांडू से करीब 123 किलोमीटर दूर है। जिस जगह पर राम-सीता ने अग्नि के साथ फेरे लिए थे, वो जगह लोगों के लिए दर्शनीय स्थल है,जिसे देखने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोग यहां पर आते हैं। लोग इस जगह श्रीराम की ससुराल कहकर बुलाते हैं।
विवाह मंडप
धनुषा में लगता है जनकपुर में राम-जानकी के कई भव्यमंदिर हैं। विवाह पंचमी के दिन पूरे रीति-रिवाज से राम-सीता की शादी की जाती है। विवाह मंडप जनकपुरी से 14 किलोमीटर दूर धनुषा स्थल पर बनाया जाता है क्योंकि रामजी ने धनुष वहीं तोड़ा था।
पति-पत्नी के बीच प्रेम पनपता है
राम-सीता आदर्श पति-पत्नी का उदाहरण हैं इसलिए आज के दिन को विवाह के लिए काफी शुभ माना जाता है। यही वजह से आज के दिन बड़ी संख्या में लोग शादी करते हैं। तो वहीं माना जाता है कि आज के दिन का व्रत करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम पनपता है, अगर पति-पत्नी के बीच में कोई मतभेद होता है तो वो भी दूर हो जाता है। मांसीता और प्रभु राम अपने भक्तों के सारे दुखों को हर लेते हैं और उन्हें हर तरह का सुख प्रदान करते हैं।