अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म-दर्शन। शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन नवमी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन नवरात्रि का समापन होता है और इसी दिन संपूर्ण नवरात्रि में किए गए पूजा कर्म, जप-तप, स्तोत्र पाठ आदि का फल प्राप्त होता है। जो साधक नवरात्रि में व्रत-उपवास रखकर नित्य हवन-पूजन, जपादि करते हैं उन्हें नवमी के दिन नवरात्रि का उत्थापन करना अनिवार्य है, उसके बिना पूजा का फल प्राप्त नहीं होता। इस बार महानवमी 4 अक्टूबर 2022 मंगलवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और अतिगंड योग में आ रही है।
जिन घरों में नवरात्रि की स्थापना की गई है, वे नवमी के दिन उत्थापन करेंगे। इस दिन प्रात: नित्यकर्मो से निवृत्त होकर विद्वान पंडित, पुरोहित के माध्यम से नवरात्रि का उत्थापन करवाएं। इसके लिए पंच देवों, नवग्रह, षोडशमात्रका आदि का पूजन करने के बाद दुर्गा सप्तशती के श्लोकों के दशांश भाग से हवन किया जाता है। ब्राह्मणों और 13 वर्ष से कम आयु की नौ कन्याओं को भोजन करवाकर, उनके चरण पूजन कर दान-दक्षिणा, वस्त्र आदि भेंट किए जाते हैं। इस दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्ति्रयों को भी भोजन करवाकर सुहाग की सामग्री भेंट करने से सुख-सौभाग्य बना रहता है।
अलग-अलग वस्तुओं से हवन का महत्व:
- नवमी के दिन अपनी कामना के अनुसार विभिन्न वस्तुओं से हवन करने का महत्व है। धन संपत्ति की कामना करने वालों को नवमी का हवन मखाने की खीर से करना चाहिए। इसमें दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के साथ श्रीसूक्त की ऋचाओं से भी हवन करना चाहिए।
- नवग्रहों की शांति के लिए नवग्रहों की समिधाएं मदार, पलाश, खैर, चिचिड़ा, पीपल, गूलर, शमी, दूब और कुश क्रमश: सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु के लिए हैं, इनसे हवन करें।
- शनि की पीड़ा, साढ़ेसाती आदि के प्रकोप से मुक्ति के लिए हवन सामग्री में काले तिल और शमी पत्र से हवन करें। हवन के बाद उसकी भस्म को चांदी की डिबिया या लकड़ी की डिबिया में भरकर रखें। समय-समय पर इसे मस्तक पर लगाते रहें। संकट कभी नहीं आएगा।