अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। आज सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन अपने समस्त प्रकार के संकटों को दूर करने के लिए त्रिवेणी पूजन करना चाहिए। त्रिवेणी अर्थात् तीन दिव्य वृक्षों का संगम। इनमें बरगद, पीपल और नीम शामिल हैं। ये तीनों वृक्ष जहां एक साथ, एक ही जड़ से लगे हों वह स्थान त्रिवेणी हो जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन इस त्रिवेणी का पूजन करने से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
त्रिवेणी में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है। अत: इनका पूजन करने से तीनों की भगवानों का पूजन हो जाता है। कई लोग यह कह सकते हैं किरविवार के दिन पीपल वृक्ष का स्पर्श नहीं किया जाता है, किंतु पर्व विशेष में पूजन-स्पर्श में कोई दोष नहीं लगता। सर्वपितृ अमावस्या बड़ा पर्व है। इस दिन प्रात: 6.20 से तड़के 5.56 तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। साथ ही शुभ योग रहेगा।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन त्रिवेणी वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल, गाय का कच्चा दूध, लाल पुष्प और मिश्री डालकर इसका मिश्रण अर्पित करें। वृक्ष का पूजन विविध वस्तुओं से करें। वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हुए भगवान नारायण के 108 नामों का उच्चारण करें या विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। या ऊं नमो नारायणाय, या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का मानसिक उच्चारण करते जाएं।
त्रिवेणी पूजन के लाभ
- आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
- ग्रहजनित पीड़ा त्रिवेणी पूजन से दूर होती है।
- त्रिवेणी पूजन से शुभ संकल्पों की सिद्धि होती है।
- रोगी का रोग दूर होता है।
- आयु और आरोग्य प्राप्त होता है।
- जिस उद्देश्य की पूर्ति का संकल्प लेकर पूजन किया जाता है वह पूरा होता है।