Santan Saptami 2022: ‘संतान सप्तमी’ आज, जानिए शुभ-मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और सामग्री
अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म-दर्शन। आज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी है, जिसे कि ‘संतान सप्तमी’ व्रत के नाम से जाना जाता है, जिनको संतान नहीं हो रही है या जिनकी संतान को कई रोग या कष्ट है, उन्हें जरूर ये व्रत करना चाहिए क्योंकि ये व्रत हर तरह से सुख, शांति और खुशी प्रदान करने वाला है। इस व्रत को ‘दुबड़ी सप्तमी’ , ‘ललिता सप्तमी’ , ‘अपराजिता सप्तमी’ और ‘मुक्ताभरण सप्तमी’ भी कहते हैं।
रोगों और कष्टों से मुक्ति दिलाता है व्रत:
इस दिन मां पार्वती- भगवान शंकर की पूजा की जाती है, ताकि व्रत करने वाले को भागवान कार्तिके और गणेश जी जैसी यशस्वी संतान की प्राप्ति हो। यही नहीं ये व्रत पुराने रोगों, कष्टों और कर्जों से भी मुक्ति दिलाता है। व्रत करने वाले जातकों को मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और सुख-शांति की प्राप्ति होती है और संतान की आयु बढ़ती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 2 सितंबर, शुक्रवार को दोपहर 12:28 से शुरू हो गई थी जो कि आज दोपहर 12:28 तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त: 3 सितंबर को 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। पूजन करते वक्त निम्मलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए… मां पार्वती के लिए मंत्र ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै न मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि। कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।। हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।
भगवान शकंर के लिए मंत्र:
ऊँ साम्ब शिवाय नमः और ऊँ गौर्ये नमः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
पूजन सामग्री:
भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर लकड़ी की चौकी कलश अक्षत रोली दूध दही कपूर सुहाग का सामान पूजा विधि सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें। उनसे प्रार्थना करें और प्रसाद का भोग लगाएं और आरती करें और प्रसाद लोगों में बांटे।