Reservation Bill: राजभवन -सरकार के बीच तकरार, अधर में छात्रों का भविष्य, बीएड, इंजीनियरिंग की सीटें खाली
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार और राजभवन के बीच आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 को लेकर बढ़ रहे तकरार का खामियाजा राज्य के छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। बीएड फार्मेसी और इंजीनियरिंग ऐसे कई प्रवेश प्रक्रिया इससे प्रभावित हो गई है। छत्तीसगढ़ में राजभवन और सरकार के बीच आरक्षण को लेकर बढ़ी तकरार का असर अब प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ में फॉर्मेसी, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, और बीएड जैसी पढ़ाई के लिए एडमिशन प्रक्रिया अधूरी रह गई है। कई छात्र अब भी दूसरे और तीसरे चरण की काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं।
जिनके लिए काउंसलिंग का इंतजार है। तो वहीं एडमिशन ले चुके छात्र 3 महीने तक पढ़ाई भी कर चुके हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में हजारों सीटें अब भी खाली हैं।
छात्रों का भविष्य अधर में,
इंजीनियरिंग और डिप्लोमा की सीटें खाली छत्तीसगढ़ में आरक्षण संसोधन विधेयक अधर में लटका है। राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण विधेयक कानून नहीं बन पा रहा है। जिसके चलते प्रदेश के शिक्षण संस्थान असमंजस की स्थिति में हैं। कि आखिर वे किस रोस्टर के अनुसार भर्ती लें। फिलहाल विधानसभा में पारित रोस्टर का इंतजार किया जा रहा है। फार्मेसी, बी टेक, एग्रीकल्चर समेत कुछ कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई है। D.Ed और B.Ed की प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश प्रक्रिया 29 जनवरी से शुरू की गई है। जबकि इंजीनियरिंग और डिप्लोमा में दो चरणों की काउंसलिंग के बाद प्रक्रिया रुकी है।
पिछड़ता जा रहा एकेडमिक सत्र
आरक्षण रोस्टर जारी नहीं होने की वजह से शिक्षण संस्थानों ने भर्ती और काउंसलिंग प्रक्रिया रोक दी थी। लेकिन पहले एडमिशन ले चुके छात्रों की पढ़ाई भी शुरू कर दी गई थी। जिसकी वजह से अब देरी से एडमिशन लेने वाले छात्रों को सिर्फ 3 माह ही पढ़ाई का समय मिलेगा। जिसके बाद नए सत्र 2023-24 पर भी इसका असर पड़ेगा। देरी से एडमिशन लेने वाले छात्रों को जल्द सेमेस्टर एग्जाम दिलाना होगा। इससे पहले भी कोरोना की वजह से 2020-21 और 2021-22 में शैक्षणिक सत्र पिछड़ा था। जिसकी भरपाई अब भी छात्र कर रहें हैं। जिनकी परीक्षाएं ली गई। इनके डिग्रियों और अंकसूची का वितरण भी संस्थानों द्वारा नहीं किया गया था।