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Pitru Paksha 2022: श्राद्ध में दिया जाने वाला अन्न-जल पितरों को कैसे प्राप्त होता है?

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। धर्म-कर्म और शास्त्रों से अनभिज्ञ लोग अक्सर यह प्रश्न पूछते हैं किश्राद्ध करने से क्या लाभ? श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाने से वह पितरों तक कैसे पहुंचता है? ऐसे लोग अक्सर श्राद्ध कर्म की हंसी उड़ाते हैं। ऐसे लोगों के लिए शास्त्रों में पर्याप्त उत्तर दिए गए हैं, यदि वे पढ़ें तो उन्हें ज्ञात होगा।

शास्त्रों का कथन है किनाम-गोत्र के सहारे विश्वेदेव एवं अग्निष्वात्त आदि दिव्य पितर मनुष्यों द्वारा दिए गए हव्य-कव्य को पितरों तक पहुंचा देते हैं। यदि पितृ देवयोनि में गया है तो दिया गया अन्न उसे वहां अमृत होकर प्राप्त हो जाता है। मनुष्ययोनि में गया है तो अन्न रूप में, पशु योनि में गया है तो तृण के रूप में उसे पदार्थो की प्राप्ति हो जाती है।

ब्राह्मण भोजन से श्राद्ध की पूर्ति हो जाती है और अन्न-जल आदि पितरों को प्राप्त हो जाते हैं। सामान्यत: श्राद्ध की दो प्रक्रिया हैं पिंडदान और ब्राह्मण भोजन। मृत्यु के बाद जो लोग देवलोक या पितृलोक में पहुंचते हैं वे मंत्रों द्वारा बुलाए जाने पर उन-उन लोकों से तत्काल श्राद्धदेश में आ जाते हैं और निमंत्रित ब्राह्मणों के माध्यम से भोजन ग्रहण कर लेते हैं। सूक्ष्मग्राही होने से भोजन के सूक्ष्ण कणों से उनका भोजन हो जाता है। वे तृप्त हो जाते हैं। मनुस्मृति का कथन है किश्राद्ध के लिए निमंत्रित ब्राह्मणों में पितर गुप्त रूप से वायुरूप में आ जाते हैं और ब्राह्मणों के साथ बैठकर ही भोजन करते हैं।

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