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Pitru Paksha 2022: पंचक में किसी की मृत्यु हो तो क्या विधान करना चाहिए? पुत्तलदाह क्या है?

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। धनिष्ठा का उत्तर भाग, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती ये पांच नक्षत्र पंचक के नक्षत्र कहे गए हैं। शुभ कार्यो में तो पंचक कोई बाधा नहीं बनता किंतु मृत्यु कर्म में पंचक का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है किपंचक में यदि किसी की मृत्यु हो तो परिवार में, कुटुंब में पांच लोगों की मृत्यु होती है। इसलिए पंचक में मृत्यु होने पर पुत्तलदाह करने का विधान है। पंचक की तरह ही त्रिपुष्कर और भरणी नक्षत्र से भी यही अनर्थ होता है।

ऐसी स्थिति में कष्ट निवारण और कुटुंबजन की रक्षा के लिए कुशा के पांच पुतले बनाकर उन पर सूत्र लपेटकर जौ के आटे का लेपन करें। इन पांच पुतलों को शव के साथ दाह किया जाता है। इन पांच पुतलों के नाम क्रमश: प्रेतवाह, प्रेतसखा, प्रेतप, प्रेतभूमिप तथा प्रेतहर्ता हैं। संकल्प करके पांचों प्रेतों को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप तथा दीप आदि वस्तुएं प्रदान कर उनका पूजन करें। प्रूजन के बाद प्रेतवाह नामक पुतले को शव के सिर पर, दूसरे को नेत्रों पर, तीसरे को बायीं कांख पर, चौथे को नाभि पर और पांचवें को पैरों के ऊपर रखकर इनके नाम मंत्रों से क्रमपूर्वक पांचों पर घी की आहुति दी जाती है। जैसे प्रेतवाहाय स्वाहा, प्रेतसखाय स्वाहा, प्रेतपाय स्वाहा, प्रेतभूमिपाय स्वाहा, प्रेतहर्ते स्वाहा। इसके बाद शव का दाह किया जाता है।

कैसे करें पंचक का विचार:

निर्णयसिंधु और धर्मसिंधु के अनुसार मृत्यु में पंचक विचार की तीन स्थितियां हैं- यदि मृत्यु पंचक प्रारंभ होने के पूर्व हो गई है किंतु दाह पंचक में होना हो तो केवल पुत्तलों का विधान करें, शांति की आवश्यकता नहीं। यदि मृत्यु पंचक में हो गई हो किंतु दाह पंचक समाप्त होने के बाद हो तो शांति कर्म करना होता है। यदि मृत्यु भी पंचक में हुई हो और दाह भी पंचक में हो तो पुत्तलदाह और शांति कर्म दोनों करना होता है।

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