Heart Attack Survival Tips: हार्ट अटैक आने पर क्या करें? हर किसी को जाननी चाहिए ये 5 बातें
Heart Attack Survival Tips: हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। पहले यह अधिक उम्र के लोगों में सुनाई देता था लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। हाल के दिनों में कई स्टार्स भी इसके शिकार हुए हैं। इनमें कई नाम तो ऐसे हैं जिनकी फिटनेस की मिसाल दी जाती रही है। ऐसे में हार्ट अटैक को लेकर हमें अधिक जागरूक रहने की जरूरत है। सबसे जरूरी है कि ऐसी स्थिति आने पर खुद को और अपने आस-पास मौजूद लोगों को इसके लिए पहले से तैयार करना। हमें प्राथमिक उपचार के ऐसे कदमों के बारे में जानना चाहिए जिससे दिल का दौरा पड़ने के बाद व्यक्ति की मदद की जा सके।
लक्षणों को पहचानें
दिल का दौरा पड़ने पर आप किसी की तभी मदद कर सकते हैं जब आप इसके लक्षणों को तेजी से पहचान सकें। इसके लक्षणों में सीने में दर्द, दबाव महसूस करना शामिल है। इसके साथ ही महिलाओं और पुरुषों में यह अलग-अलग महसूस हो सकता है। मचली, अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ होना और अस्वस्थ महसूस करना शामिल है।
पहला काम एंबुलेंस बुलाएं
डॉक्टर सलाह देते हैं कि अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ भी महसूस होता है तो सबसे पहले आपको एंबुलेंस को फोन करना चाहिए। बहुत सारे मरीज लक्षणों को देखने के बाद भी लापरवाही बरतते हैं और अस्पताल पहुंचने में देर कर देते हैं। ये समझिए कि आप जितनी जल्दी डॉक्टर के पास पहुंचेंगे उतना ही परिणाम बेहतर होने की संभावना होती है।
एस्पिरिन लें
अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि दिल का दौरा पड़ा है तो मरीज को सबसे पहले एस्पिरिन दें। घर में एस्पिरिन की गोली जरूर रखें। एंबुलेंस को काल करने के बाद एस्पिरिन की 325 मिलीग्राम की पूरी खुराक लें। अगर पास में बेबी एस्पिरिन (81 मिलीग्राम वाली) है तो उसकी चार गोलियां लें। इसे निगलने के बजाय चबाकर लेना चाहिए ताकि यह आपके सिस्टम में तेजी से प्रवेश कर सकें। हार्ट अटैक के दौरान धमनियों में थक्का बनने की आशंका रहती है, एस्पिरिन इसे तोड़ती है।
खुद से ड्राइव की सोचें भी नहीं
अगर आपको लगता है कि आपको दिल का दौरा पड़ रहा है, तो खुद को अस्पताल ले जाने के बजाय तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करें। आप बेहोश हो सकते हैं और सड़क पर खुद को या दूसरों को चोट पहुँचा सकते हैं। वहीं आपके आस-पास के किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है, तो भी खुद से न ले जाएं क्योंकि रास्ते में लक्षण बिगड़ने पर आप उसकी मदद नहीं कर पाएंगे। एंबुलेंस में पैरा मेडिकल स्टाफ होता है जिसे आपात स्थिति के लिए प्रशिक्षण प्राप्त होता है।
सीपीआर की ट्रेनिंग सबसे जरूरी
आप खुद और अपने आस-पास के लोगों को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) की ट्रेनिंग जरूर लें। अगर दिल का दौरा पड़ने वाले व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है या आपको नाड़ी नहीं मिल रही है तो सबसे पहले शरीर में रक्त का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए सीपीआर देना शुरू करें। यहां भी सबसे पहले इमरजेंसी हेल्थ सेवा को कॉल करें और तुरंत सीपीआर दें। केवल हाथ से ही सीपीआर देने की स्थिति में आप व्यक्ति की छाती पर दोनों हाथ में जोर-जोर से दबाएं। इसके लिए एक मिनट में लगभग 100 से 120 बार छाती को दबाएं। यह प्रक्रिया करते रहें जब तक आपात सेवा का स्टाफ ना आ जाए।