अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ‘हरितालिका तीज’ होती है, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निरजला व्रत रहती हैं और शाम को भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। इस बार ये पावन दिन 30 अगस्त को है। कहा जाता है कि मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिए लगातार तप किया था, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।
उत्तर भारत में ये व्रत काफी लोकप्रिय है और इसे कंवारी कन्याएं भी करती हैं, कहते हैं व्रत रखने से भोलेनाथ जैसा योग्य पति प्राप्त होता है। महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति के लिए आशीष मांगती हैं।
‘हरितालिका तीज’ का शुभ मुहूर्त:
- ‘हरितालिका तीज’ तीज तिथि आरंभ- 29 अगस्त, सोमवार शाम 3 बजकर 21 मिनट से
- ‘हरितालिका तीज’ का तीज तिथि समापन – 30 अगस्त, मंगलवार तारीख को शाम 3 बजकर 34 मिनट पर।
- उदया तिथि के अनुसार 30 अगस्त को ही पूजा करना शुभ है।
- ‘हरितालिका तीज’ प्रदोष काल पूजा- – 30 अगस्त को शाम 6 बजकर 34 मिनट से
- 8 बजकर 50 मिनट तक
‘हरितालिका तीज’ पूजा सामग्री’
- गीली काली मिट्टी या बालू
- बेलपत्र
- केले का पत्ता
- धतूरे का फल एवं फूल
- आंक का फूल
- मंजरी
- जनेऊ
- वस्त्र
- फल
- नारियल
- कलश
- घी-तेल
- कपूर
- कुमकुम
- दीपक
- सिंदूर
- सुहाग का सामान
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ऐसे करें पूजा गीली:
- काली मिट्टी या बालू से शिव-गौरा बनाएं।
- फिर शादी का मंडप बनाएं।
- फिर शिव-पार्वती की पूजा करें।
- हरितालिका व्रत की कथा सुनें। अंत में आरती करें प्रसाद बांटें।