अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम हैं, ‘गणपति बप्पा मोरया’ की गूंज चारों ओर है। भगवान गणेश को विध्नहर्ता कहा जाता है, वो व्यक्ति को हर संकट से बचाते हैं। गणेश उत्सव आने के साथ ही चारों ओर केवल ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’ का जयकारा ही सुनाई देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘गणपति बप्पा मोरया’ में ‘मोरया’ का क्या अर्थ है? हम में से आधे लोगों को लगता है कि ‘मोरया’ का अर्थ ‘मोरया’ जाति से है या फिर मौर्य वंश से है तो यहां आपको बता दें कि ये गलत है।
मोरया गोसावी:
दरअसल इस बारे में एक कहानी प्रचलित है। आपको बता दें कि मोरया शब्द किसी जाति या वंश का नहीं है बल्कि ये भगवान गणेश जी के बहुत बड़े भक्त मोरया गोसावी के नाम से लिया गया था, जो कि 14वीं शताब्दी के बहुत बड़े संत थे। वो महाराष्ट्र के पुणे से 21 कि.मी. दूर बसे चिंचवाड़ गांव में जन्मे थे, कहा जाता है कि उनका जन्म ही प्रभु गणेश के आशीष से हुआ था, वो दिन-रात लंबोदर की भक्ति में ही लीन रहा करते थे।
गणेश जी ने मोरया गोसावी को सपने में दर्शन दिया:
वो हर साल गणेश चतुर्थी के पर्व पर मोरेगांव बप्पा के दर्शन के लिए आते थे वो भी पदयात्रा करके, लेकिन अवस्था बढ़ने के साथ उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी थी। एक रात गणेश जी ने मोरया गोसावी को सपने में दर्शन दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी मूर्ति नदी में ही मिलेगी, उन्हें पदयात्रा की जरूरत नहीं है। दूसरे दिन स्नान करने के दौरान मोरया को गणेश जी की मूर्ति प्राप्त हो गई, जिसके बाद उनकी भक्ति की चर्चा पूरे इलाके में होने लगी।
संत मोरया गोसावी उन्हें मंगलमूर्ति कहा करते थे:
लोग दूर-दूर से उनके दर्शन के लिए आने लगे, लोग उनका पैर छूकर मोरया कहते थे, जिसके जवाब में संत मोरया गोसावी उन्हें मंगलमूर्ति कहा करते थे। तब से ही ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’ उद्घोष बन गया है और बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गया।
मोरया का नाम गणपति के साथ जुड़ा रहेगा:
कुछ लोगों का कहना है कि मोरया की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं गणपति जी ने उन्हें आशीष दिया था कि मोरया का नाम गणपति के साथ जुड़ा रहेगा और इसी वजह से ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’ चलन में आ गया।
हर मुराद पूरी होती है:
आपको बता दें कि चिंचवाड़ गांव में उनकी समाधि है और उनके हाथों से बनाया गया गणेश मंदिर भी है, जहां साल में दो बार मेला लगता है। कहते हैं कि यहां मांगी गई हर मुराद और दुआ पूरी होती है। ये बहुत ही मानक स्थल है।