अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की एकादशी अजा एकादशी कहलाती है। यह एकादशी 23 अगस्त 2022, मंगलवार को आ रही है। इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस बार मंगलवार के दिन एकादशी आ रही है इसलिए भूमि, भवन के कार्यो और उत्तम संपत्ति सुख की प्राप्ति की कामना रखने वालों को इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। अजा एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से हरिद्वार आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान आदि का फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के ग्रहों की पीड़ाएं दूर हो जाती है। व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करते हुए अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती की आने वाली कई पीढ़ियों को दुख नहीं भोगना पड़ते हैं।
अजा एकादशी व्रत की विधि अजा एकादशी का व्रती सूर्योदय पूर्व उठकर तिल और मिट्टी का लेप करके कुशा डालकर स्नान करे। इसके बाद सूर्य को जल का अर्घ्य दें और भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके लिए अपने पूजा स्थान को शुद्ध कर लें। एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर धान्य रखकर उस पर कलश स्थापित करें। कलश पर लाल रंग का वस्त्र सजाएं। इस पर भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर एकादशी व्रत का संकल्प लेकर विधि विधान से पूजन करें। इसके बाद अजा एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। दिनभर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु के नामों का मानसिक जाप करते रहे। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को यथायोग्य दान दक्षिणा दें और स्वयं व्रत खोलें।
अजा एकादशी की कथा:
प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। किसी जन्म के कर्मो के कारण उसे अपना राज्य और सारा धन त्यागना पड़ा। साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया। वह राजा चांडाल का दास बनकर मृतकों के वस्त्र ग्रहण करता था। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंतित हो जाता और विचार करने लगता किमैं कहां जाऊं, क्या करूं, जिससे मेरा उद्धार हो। इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था किगौतम ऋषि का आगमन हुआ। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी कहानी बताई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि ने कहा किराजन आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्णपक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतध्र्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए और फिर से स्त्री-पुत्र और धन युक्त होकर राज्य करने लगा।
एकादशी तिथि एकादशी:
प्रारंभ 22 अगस्त को प्रात: 6.06 बजे से एकादशी
समाप्त 24 अगस्त को प्रात: 8.32 बजे तक
एकादशी का पारणा 24 अगस्त को प्रात: 6.06 से 8.30 बजे तक