Datta Jayanti 2022: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और दत्तात्रेय का पूजन, मंत्र अनुष्ठान, व्रत आदि किए जाते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महर्षि अत्रि ने भगवान विष्णु का व्रत करके उन्हें प्रसन्न किया था। इस पर श्रीहरि ने प्रकट होकर अत्रि से कहा था दत्तो मयाहमिति यद् भगवान् स दत्त: अर्थात् मैंने अपने-आपको तुम्हें दे दिया। इन वचनों के साथ भगवान विष्णु अत्रि के पुत्र के रूप में अवतरित हुए और उनका नाम दत्त रखा गया। अत्रि के पुत्र होने के कारण इन्हें आत्रेय भी कहा जाता है और दोनों नाम मिलाकर दत्तात्रेय के नाम से प्रसिद्ध हुए।
पीले फल का नैवेद्य लगाना चाहिए भगवान नारायण के अवतार होने के कारण दत्तात्रेय का पूजन पूर्णिमा, गुरुवार और दत्त प्राकट्योत्सव के दिन किया जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण कर पीले पुष्प अर्पित करके पीली मिठाई, पीले फल का नैवेद्य लगाना चाहिए। भगवान दत्तात्रेय की सात प्रदक्षिणा करें। इस दिन स्फटिक की माला से ऊं नमो भगवते दत्तात्रेयाय मंत्र क जाप करना चाहिए। इससे समस्त संकट दूर होते हैं और मनुष्य का जीवन सुखमय बनता है।
दत्त पूजा के लाभ
- भगवान दत्तात्रेय की पूजा सर्वसुख प्रदाता है। इसलिए यदि कोई संकट है तो दत्त पूजन अवश्य करें। जिन लोगों के विवाह में बाधा है वे युवक-युवतियां दत्त प्राकट्योत्सव के दिन पीले वस्त्र पहनकर दत्त का पूजन करके चने की दाल में थोड़ा सा स्वर्ण रखकर दान करें। इससे विवाह का मार्ग खुलता है।
- दत्त जयंती के दिन ऊं नमो भगवते दत्तात्रेयाय मंत्र का जाप हल्दी की माला से करने से धन सुख की प्राप्ति होती है।
- स्वर्ण पुष्पों से भगवान दत्त का पूजन करके पीले फल अर्पित करने से शारीरिक रोग दूर होते हैं। इस दिन व्रत रखकर गाय के देसी घी से बना नैवेद्य अर्पित करें, संपत्ति लाभ होगा।