BJP National Executive: भाजपा की दिल्ली में 16 और 17 जनवरी को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सबसे बड़ी उत्सुकता नये राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर थी। जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही था कि उनका कार्यकाल पूरा होगा या उन्हें एक्सटेंशन मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के बाद इस बात की आशंका थी कि जेपी नड्डा को विदा कर दिया जाए।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। 17 जनवरी को उन्हें डेढ साल का एक्सटेंशन दे दिया गया। अब जेपी नड्डा जून 2024 तक बतौर भाजपा अध्यक्ष काम करेंगे। उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा इस साल नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा का भी चुनाव लड़ेगी। इस तरह लालकृष्ण आडवाणी और अमित शाह के बाद जेपी नड्डा ऐसे तीसरे भाजपा अध्यक्ष बन गये हैं जिन्हें लगातार दूसरा कार्यकाल मिला है। हालांकि राजनाथ सिंह भी दो बार पार्टी अध्यक्ष बने थे, लेकिन उनका कार्यकाल लगातार नहीं था।
जेपी नड्डा को एक्सटेंशन देने का ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने किया जो इस बात का संकेत है कि भाजपा में मोदी के बाद वास्तविक रूप से नंबर दो की हैसियत अमित शाह की ही है। वही हैं जो भाजपा के अध्यक्ष को मिलने वाले कार्य विस्तार का भी ऐलान कर सकते हैं। हालांकि जब से मोदी भाजपा की ओर से देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचे हैं, सारे व्यावहारिक और सैद्धांतिक निर्णय उन्हीं के द्वारा होता है। ऐसे में ऐलान भले अमित शाह ने किया हो लेकिन निर्णय तो मोदी का ही रहा होगा।
नड्डा के कार्यविस्तार की अहम वजह यह भी है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया जिसमें मोदी या शाह की पूर्वानुमति न हो। मोदी और शाह जैसी नड्डा से उम्मीद कर रहे थे, नड्डा उसमें पूरी तरह खरे उतरे। ऐसे में मोदी को नड्डा के स्थान पर किसी अन्य को अध्यक्ष बनाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इसके अलावा तकनीकी तौर पर भी भाजपा को नया अध्यक्ष बनाना आसान नहीं था। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50% यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। ऐसा करना फिलहाल भाजपा के लिए संभव नहीं था।
नड्डा को मिले एक्सटेंशन के अलावा इस कार्यकारिणी का एक और प्रमुख संदेश था नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर मुहर। नड्डा के नेतृत्व में भले भाजपा हिमाचल हार गयी हो लेकिन चर्चा गुजरात की जीत की ही हुई और सारा श्रेय नरेन्द्र मोदी को दिया गया। मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि गुजरात में हमने एंटी-इनकम्बेंसी को प्रो-इनकम्बेंसी में बदल कर जीत दर्ज की है। ये सामान्य नहीं बल्कि ऐतिहासिक जीत है। गुजरात की जीत का प्रभाव आने वाले चुनाव पर भी निश्चित ही नजर आएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि पेगासस, राफेल, ईडी, सेंट्रल विस्टा, आरक्षण और नोटबंदी… ये ऐसे विषय थे जिन पर विपक्ष ने आधारहीन दावों के माध्यम से प्रधानमंत्री पर आरोप लगाए लेकिन कोर्ट में उन्हें मुंह की खानी पड़ी।