अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। Bhishma Panchak Vrat: कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक पांच दिन का भीष्म पंचक व्रत किया जाता है। पांच दिन का यह व्रत स्त्री-पुरुष फलाहार करते हुए करते हैं। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण ने प्रारंभ करवाया था। महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद जब भीष्म पितामह शरशैय्या पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर पांचों पांडवों ने कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक पितामह से धर्म उपदेश ग्रहण किया था। उन्हीं पांच दिनों की स्मृति में पांच दिन का भीष्म पंचक व्रत किया जाता है। इस बार भीष्म पंचम व्रत 4 नवंबर 2022 से 8 नवंबर तक किया जाएगा।
पूजा विधान:
भीष्म पंचक व्रत समस्त प्रकार के सुख भोग और आध्यात्मिक, आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। जो लोग यह व्रत करते हैं उनके समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं और परिवार में आपसी सामंजस्य, सुख शांति बनी रहती है। इस दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पांच दिन तक अखंड जलने वाला घी का दीपक लगाया जाता है। अंतिम दिन ऊं विष्णवे नम: स्वाहा मंत्र से घी की आहुतियां देते हुए हवन किया जाता है।
कथा:
महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में शरशैय्या पर शयन कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण पांचों पांडवों को साथ लेकर उनके पास गए। उपयुक्त अवसर जानकर युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रार्थना की किआप हमें राज्य संबंधी उपदेश देने की कृपा करें। तब भीष्म पितामह ने पांच दिनों तक राज धर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। उनका उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण संतुष्ट हुए और बोले पितामह! आपने कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है, उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। मैं इसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूं।