30 मई को वट सावित्री व्रत : वट सावित्री के दिन रखें इन बातों का ख्याल, जानें पूजा विधि और महत्व
धर्म दर्शन l अपने पति के प्राण यमराज से वापस लेने वाली देवी सावित्री भारतीय संस्कृति में संकल्प और साहस का प्रतीक हैं l यमराज के सामने खड़े होने का साहस करने वाली सावित्री की पौराणिक कथा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। सावित्री के दृढ़ संकल्प का ही उत्सव है वट सावित्री व्रत। इस व्रत की उत्तर भारत में बहुत मान्यता है। इस बार यह 30 मई को पड़ रहा है। इसे ज्येष्ठ कृष्णपक्ष त्रयोदशी से अमावस्या यानी तीन दिन तक मनाने की परम्परा है, किंतु कुछ जगहों पर एक दिन की निर्जल पूजा होती है। दक्षिण भारत में यह वट पूर्णिमा के नाम से ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है।
यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं, इस दिन वे वट सावित्री की कथा सुनती हैं, पूजा करती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं l वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है इसलिए इसे वट सावित्री कहते हैं l मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए यह व्रत रखा था, इसलिए सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं l
विधि-विधान से किया गया व्रत कई गुना ज्यादा फल देगा
शनि जयंती भी इसी दिन…वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती भी होती है. इस साल इस दिन सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है. लिहाजा इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा और भक्ति-भाव से रखा गया व्रत कई गुना ज्यादा फल देगा. इस दिन शनि देव के प्रकोप से निजात पाने के उपाय करना भी बहुत लाभ देगा l वट सावित्री के दिन रखें इन बातों का ख्याल – जो महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखें वे गलती से भी इस दिन काले, सफेद या नीले रंग की साड़ी न पहनें, बल्कि हरे, पीले, लाल या नारंगी रंग के सुहाग वाले रंग धारण करें l
गलती से भी न करें ये काम
यदि पहली बार वट सावित्री व्रत रख रही हैं तो मायके में पहला व्रत करें. ऐसा करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा सुहाग की सारी चीजें भी मायके की ही धारण करें -वट सावित्री के व्रत में या तो केवल फल का सेवन करें. ऐसा पूजा के बाद ही करें l इसके अलावा पूजा के लिए वट वृक्ष पर चढ़ाई गई चीजों का सेवन भी वे पूजा के बाद कर सकती हैं. – यदि बिना अन्न का सेवन किए व्रत न रख पा रही हों तो सात्विक भोजन ही करें l लहसुन, प्याज, हींग, मसालों का सेवन गलती से भी न करें. – व्रती महिलाएं ना तो किसी से झगड़ा करें और ना ही किसी को अपशब्द कहें l