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2030 तक हाइपरसोनिक विमान लाएगा ब्रिटेन, चार घंटे में पूरी होगी लंदन से सिडनी की दूरी

अगर आप दिल्ली से मुंबई जाने के लिए फ्लाइट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको करीब एक घंटे का समय लगता होगा, लेकिन आने वाले सालों में ये यात्रा महज कुछ ही मिनटों में पूरी होगी. क्योंकि साल 2030 तक आसमान में आपको हाइपरसोनिक विमान उड़ते दिखाई देंगे, जो पलक झपकते ही आपकी आंखों से ओझल हो जाएंगे.

दरअसल, ब्रिटेन की स्पेस एजेंसी, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक नई तकनीकी पर काम कर रही है. इसे लेकर दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है. जिसे ‘वर्ल्ड फर्स्ट स्पेज ब्रीज’ नाम दिया गया है. हाइपरसोनिक विमान लंदन से सिडनी तक की यात्रा सिर्फ चार घंटे में पूरी कर सकेगा. बता दें कि दोनों शहरों के बीच की दूरी करीब 17 हजार किलोमीटर है और विमान से इसे तय करने में अभी 22 से 25 घंटे लगते हैं.

बता दें कि हाइपरसोनिक विमान का इंजन सिनर्जेटिक एयर-ब्रेथिंग रॉकेट इंजन (SABRE) की तकनीकी पर आधारित होगा. इस इंजन की गति मैक 5 यानी ध्वनि की गति से पांच गुना से ज्यादा होती है, जबकि वायुमंडल के बाहर इसकी गति मैक 25 तक जा सकती है. ब्रिटिश स्पेस एजेंसी के प्रमुख ग्राहम टर्नाक का कहना है कि SABRE रॉकेट इंजन के लगे होने से हम चार घंटे में ऑस्ट्रेलिया पहुंच सकेंगे. उनका कहना है कि ये बेहद उन्नत तकनीक है जो साल 2030 तक विमान के रूप में दिखाई देना शुरु होगी.

विशेषज्ञों का कहना है कि विमान की गति तेज होने की वजह से इंजन से बहने वाली हवा का तापमान ज्यादा हो सकता है, जो नुकसान का कारण बन सकती है. बता दें कि इसी साल अप्रैल महीने में एक प्री-कूलर का भी सफल परीक्षण किया गया था. यह सेकंड के 20 हिस्से से भी कम समय में 1000° सेल्सियस से ज्यादा तापमान तक की गैसों को ठंडा कर सकता है. हाइपरसोनिक विमान की स्पीड मैक 5 से ज्यादा होती है. जबकि सुपरसोनिक विमानों की गति मैक 1 से ज्यादा और मैक 5 के नीचे होती है. बता दें कि जिन विमानों गति ध्वनि की गति से कम हो वह सबसोनिक विमान होते हैं. जो यात्री विमानों की श्रेणी में आते हैं.

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