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11 कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न, सैकड़ों ने दी आहुतियां

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, रायपुर। महानदी समाज कल्याण समिति तिवारी बिजनेस पार्क रायपुर द्वारा गायत्री महायज्ञ आयोजित किया गया। यज्ञ में सैकड़ों लोगों ने आहुतियां दी। यज्ञ में सैकड़ों लोगों ने आहुतियां दी। महानदी समाज कल्याण के कार्यालय में 11 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में आहुति देकर भक्तों ने मां गायत्री की अराधना की।

समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिमलेंद्र तिवारी ने संदेश देते हुए बताया कि गायत्री उपासना से मानव शरीर में सन्निहित अगणित संस्थानों में से कितने ही जाग्रत एवं प्रखर हो चलते हैं। इस जागृति का प्रभाव मनुष्य के व्यक्तित्व को समान रूप से विकसित होने में सहायक सिद्ध होता है। गायत्री उपासना मनुष्य जीवन को बहिरंग एवं अंतरंग दोनों ही दृष्टियों से समृद्ध और समुन्नत बनाने का राजमार्ग है। बाह्य उपचार से बाह्य जीवन की प्रगति होती है, पर अंतरंग विकास के बिना उसमें पूर्णता नहीं आ पाती। बाहरी जीवन की विशेषताएँ छोटा सा शोक, संताप, रोग, कष्ट अवरोध एवं दुर्दिन सामने आते ही अस्त-व्यस्त हो जाती है, पर जिस व्यक्ति के पास आंतरिक दृढ़ता, समृद्धि एवं क्षमता है, वह बाहर के जीवन में बड़े से बड़ा अवरोध आने पर भी सुस्थिर बना रहता है और `

भयानक भँवरों को चीरता हुआ अपनी नाव पार ले जाता है। भौतिक समृद्धि और आत्मिक शांति के लिए उपासना की वैज्ञानिक प्रक्रिया अचूक साधना है। व्यायाम से शरीर पुष्ट होता है, अध्ययन से विद्या आती है, श्रम करने से धन कमाया जाता है, सत्कर्मों से यश मिलता है। सद्गुणों से मित्र बढ़ते हैं। इसी प्रकार उपासना द्वारा अंतरंग जीवन में प्रसुप्त पड़ी हुई अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ सजग हो उठती हैं और उस जागृति का प्रकाश मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक विशिष्टता का रूप धारण करके प्रकट करता हुआ प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है। गायत्री उपासक में तेजस्विता की अभिवृद्धि स्वाभाविक है। तेजस्वी एवं मनस्वी व्यक्ति स्वभावतः हर दिशा में सहज सफलता प्राप्त करता चलता है।

इस समय युग बदल रहा है। आने वाली सदी भारत की सदी होगी और भारत विश्वगुरु बन कर विश्व का नेतृत्व करेगा। विश्व की सभी शक्तियां भारत के झंडे के नीचे आकर काम करेंगी। जिसमें गायत्री साधना, गायत्री मंत्र व हवन की अहम भूमिका होगी। और भारत फिर से जगतगुरु बनेगा।

वहीं कार्यक्रम के कोषाध्यक्ष कमलेश शुक्ला ने कहा आज सारे संबंध अर्थ (रुपये-पैसे) पर आधारित हो गए हैं जो सारी परेशानी का कारण हैं। कहा कि धन दौलत से सामग्री खरीद सकते हैं लेकिन शांति एवं संस्कार नहीं खरीद सकते। इसके लिए अध्यात्म की शरण में आना ही होगा।

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यह भी कहा कि ईश्वर से हमें भौतिक सुविधाओं की मांग नहीं करनी चाहिए। ईश्वर से हमें प्रेम की याचना करनी चाहिए। अगर ईश्वर का प्रेम मिल जाए तो बाकी सारी चीजें स्वत: हमारे पास होंगी। कहा कि हमारी सोच वसुधैव कुटुंबकम् की होगी तो फिर ईश्वर के हम कृपा पात्र होंगे।