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हैदराबाद के मौजूदा निजाम की कहानी- पांच शादियों से लेकर अब दो कमरे के मकान में जिंदगी

हैदराबाद के निजाम फिर चर्चाओं में है. चर्चा की वजह है लंदन की हाईकोर्ट में वो मुकदमा, जिसमें पाकिस्तान को हार का झटका लगा है. दरअसल सातवें निजाम ने 1948 में बैंक के जरिए पाकिस्तान को 30 करोड़ की रकम ट्रांसफर की लेकिन फिर अपना इरादा बदल लिया. अब ये रकम 300 करोड़ के आसपास हो चुकी है और निजाम के वंशजों और भारत सरकार को मिलेगी. हालांकि हैदराबाद का आठवां निजाम काफी लंबे समय से कर्जों में डूबा हुआ है. उस पर कई मुकदमे चल रहे हैं. अब ये निजाम भारत की बजाए तुर्की के दो कमरे के एक फ्लैट में करीब- करीब अकेली जिंदगी गुजार रहा है.

हालांकि इस निजाम की कहानी भी खासी दिलचस्प है. 1948 में जब भारतीय फौजों ने ऑपरेशन पोलो के जरिए हैदराबाद रियासत पर कब्जा किया, तब तक ये रियासत देश की सबसे बड़ी, ताकतवर और सबसे धनी रियासत थी. तब सातवें निजाम उस्मान अली खान सत्ता में थे. उनकी गिनती दुनिया के सबसे रईस लोगों में होती थी.

कहा जाता है कि इस निजाम के पास बेहिसाब दौलत थी. कहा जाता है कि उसके अपने निजी खजाने में किलो में हीरे तौले जाते थे और टनों में सोने के जेवर थे. बहुमूल्य सामान तो ना जाने कितने थे और साथ में थी लंबी चौड़ी प्रॉपर्टी, महल और नगदी.

उस जमाने में कहा जाता था कि बैंक में जितना पैसा और घर में जितनी नकदी निजाम के पास थी, उतनी देश में शायद किसी के पास नहीं रही होगी. लेकिन इस निजाम को उतना ही कंजूस भी माना जाता था, जिसकी कंजूसी के भी ना जाने कितने ही किस्से प्रचलित थे. इस निजाम के बारे ये भी कहा जाता है कि उनकी कई बीवियां हैं.

सातवें निजाम का निधन 1967 में हुआ. उसके बाद कायदे से निजाम के पद पर उनके सबसे बड़े बेटे आजम जाह को बैठना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि आठवें निजाम के तौर पर जिस शख्स की ताजपोशी हुई वो आजम का ही सबसे बड़ा बेटा मुकर्रम जाह था. मुकर्रम का जन्म वैभव के बीच फ्रांस के एक महल में हुआ था. उसकी मां धुर्रशहवर सुल्तान को तब दुनिया की सबसे सुंदर महिलाओं में गिना जाता था.

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पहले दून स्कूल और फिर लंदन में पढ़ाई मुकर्रम को पढ़ने के लिए दून स्कूल भेजा गया. फिर हैरो लंदन और कैंब्रिज. उन्होंने बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी दाखिला लिया. जब 1967 में मुकर्रम की ताजपोशी हुई, उस समय वो खुद भारत के सबसे रईस लोगों में गिना जाता था. लेकिन मुकर्रम की जीवनशैली भी उतनी खर्चीली थी. हैदराबाद में रहने से उसको अरुचि थी.

आस्ट्रेलिया में बड़ी प्रापर्टी खरीदी और वहीं रहने लगा
फिर 70 के दशक में खबर आई कि नए निजाम ने ऑस्ट्रेलिया में एक बहुत बड़ा एस्टेट खरीद लिया है, जहां उसका फॉर्म हाउस है, जिसमें भेडों का एक बड़ा फॉर्म भी है. यही नहीं मुकर्रम ने पर्थ में एक आलीशान बंगला भी खरीदा. आस्ट्रेलिया के मीडिया में उसकी चटखदार खबरें अक्सर चर्चा में रहती थीं. निजाम दरअसल वहां अपनी पहली बीवी इजरा के साथ ही जाना चाहता था लेकिन बीबी ने जब मना कर दिया तो उसने उसे तलाक दे दिया. जिसकी एवज में उसे मोटा मुआवजा देना पड़ा.

खूबसूरत एयरहोस्टेस से दूसरी शादी
बस यहीं से निजाम के जिंदगी की अजब कहानी शुरू होती है. आस्ट्रेलिया में वो बेहिसाब पैसा लूटा रहा था. लाइफ स्टाइल ऐसी कि कोई भी रश्क करे. वहां उसका दिल एक एयर होस्टेस सिमोंस पर आया. जो बीबीसी में भी काम कर चुकी थी. बला की खूबसूरत थी सिमोंस, शादी के बाद उसने अपना धर्म बदला और वो आयशा बन गई. इस शादी की ऑस्ट्रेलिया में बड़ी चर्चा हुई थी.

बाद में ये भी खबर आई कि आयशा की एड्स से मौत हो गई. लेकिन इससे भी बड़ी खबर ये थी कि मुकर्रम को आस्ट्रेलिया में अपने खर्च के लिए जब भी पैसे की जरूरत होती थी वो तुरंत हैदराबाद में महल और प्रॉपर्टी की देखभाल कर रहे लोगों से पैसा भेजने को कहता था. उसे कितना पैसा भेजा गया, इसका हिसाब किसी के पास नहीं है लेकिन ये जरूर हुआ कि उसके महल से बेशकीमती सामान और आभूषण गायब होने लगे. एक समय ये आया कि खजाना लगभग खाली हो चुका था.

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कर्ज में डूबे निजाम के हाथ से निकली ऑस्ट्रेलिया की प्रॉपर्टी
90 का दशक आते आते आठवां निजाम कर्ज में डूबने लगा था. तब उसने हैदराबाद के एक बड़े ज्वैलर सरादुद्दीन जवेरी को अपनी प्रापर्टी का मैनेजर बनाया और उससे पैसा लेने लगा. ये 90 का दशक था. जवेरी बेशक पैसा दे रहा था लेकिन उसकी कीमत भी उसे वसूल करनी थी. जब ये कर्ज की रकम बहुत ज्यादा हो गई तो जवेरी ने आस्ट्रेलिया की दोनों प्रापर्टी पर कब्जा कर लिया. हालांकि उसका कहना था कि अब भी निजाम ने उसके कर्ज की पूरी रकम चुकाई नहीं है. निजाम के साथ उसका मुकदमा चल रहा है.

निजाम की हालत अब ये थी कि उसके पास हैदराबाद अचल संपत्तियां महल और प्रापर्टी जरूर थीं लेकिन वो सब ट्रस्ट के जरिए संचालित थीं, जिसे वो चाहकर भी बेच नहीं सकता था. 90 के दशक के आखिर तक जब इन महलों और प्रापर्टी का बुरा हाल होने लगा तो पहली बीबी इजरा ने इसे ट्रस्ट के साथ मिलकर अपने हाथों में लिया और सही किया. काफी हद तक ट्रस्ट और राजशाही की आर्थिक स्थिति को भी उबारना शुरू किया. फलकनुमा पैलेस को होटल ताज ग्रुप को दे दिया गया.

निजाम की मिस तुर्की से शादी और तलाक
निजाम मुकर्रम ने तीसरी शादी 1992 में रचाई. ये शादी उसने तुर्की की एक मिस तुर्की रह चुकी ओत्तोमान वंश की शहजादी मनोलिया ओनुर से रचाई लेकिन पांच साल चली और फिर तलाक हो गया. इसमें भी काफी पैसा हर्जाने के तौर पर देना पड़ा. हालांकि निजाम ने इसके बाद दो और शादियां रचाईं. आठवें निजाम के कुल पांच बच्चे हैं.

अब दो कमरे के फ्लैट में बीत रही है जिंदगी
अब वो लंबे समय से तुर्की में एक दो कमरे के फ्लैट में रह रहे हैं. हैदराबाद बहुत कम आते हैं. हैदराबाद के ट्रस्टों से जो कमाई होती है, उसका कुछ हिस्सा उनके पास जाता है लेकिन माना जाता है कि वो 84 की उम्र में भी कर्जों से दबे हुए हैं. ढेर सारी बीमारियां उन्हें घेर चुकी हैं. याददाश्त भी साथ नहीं देती. आमतौर पर वो सबसे कटा हुआ है और जिंदगी अकेलेपन के बीच बीत रही है.

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हालांकि माना जाता है कि वो अब भी करीब 700 करोड़ की संपत्ति का मालिक है लेकिन कानूनी तौर पर वो अकेले इनमें किसी भी संपत्ति को बेच नहीं सकता. मुकर्रम के बारे में पिछले कुछ सालों में जो कुछ प्रकाशित हुआ, उससे लगता है कि वो अपनी जिंदगी में फिर आस्ट्रेलिया लौटना चाहते थे. अपनी वहां की खोई प्रापर्टी हासिल करना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

मुकर्रम जाह का कहना है कि वो नेहरू के दोस्त थे. जब नेहरू प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने उनके सामने मुस्लिम देश में भारत का राजदूत बनने का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था.

लंदन की अदालत में 300 करोड़ की रकम का जो मुकदमा उन्होंने जीता है, उसमें रकम किसे किसे मिलेगी, ये अभी तय नहीं. क्योंकि इसके कई हिस्सेदार हो सकते हैं. हालांकि मुख्य तौर पर इसका हिस्सा निजाम मुकर्रम, उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह और भारत सरकार के पास जानी है.