ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में रायपुर देश में सातवें नंबर पर है। लेकिन शहर में आने के बाद हर व्यक्ति की धारणा बदलती है। ज्यादातर एकराय हैं कि बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं हों, महानगरों से कनेक्टिविटी का मामला हो या सुरक्षा जैसा अहम मुद्दा, रहने लायक शहरों में रायपुर बेहतर है। सीमावर्ती राज्यों के चार प्रमुख शहरों इंदौर, रांची, पटना और भुवनेश्वर में बुनियादी सुविधाओं और क्राइम ग्राफ का विश्लेषण किया है। अधिकांश मामलों में रायपुर ही सबसे बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है।
सुरक्षा : क्राइम कम, रात के वीराने में भी महिलाएं सुरक्षित
देश के कई बड़े शहरों से रायपुर ज्यादा सुरक्षित हैं। आधी रात को महिलाएं अकेले कहीं भी आ जा सकती हैं, क्योंकि शहर की हर सड़क पर डायल-112 के माध्यम से पुलिस उपस्थित रहती है। पुलिस का रिस्पांस टाइम भी इतना सटीक है कि कॉल होने पर शहर के किसी भी हिस्से में पुलिस अधिकतम पांच मिनट के भीतर पहुंच जाती है। पुलिस की 112 वाली गाड़ी की स्क्रीन पर कॉल करने वाले का लोकेशन दिखाई देता रहता है, इससे पहुंचने में कभी देरी नहीं हुई। रायपुर में 32 थाना है, जिसमें तीन हजार से ज्यादा फोर्स है। 52 जगहों पर 24 घंटे डायल-112 की टीम तैनात रहती है। 700 से ज्यादा हाईटेक कैमरे 24 घंटे निगरानी करते हैं। साइबर क्राइम से रोकने एडवांस सेल बनाया गया है। महिला गश्ती दल अलग निगरानी करता है।
बिजली – पॉवर कट एक मिनट के लिए नहीं, रेट भी आधा
रायपुर देश के चुनिंदा शहरों में है, जहां एक मिनट का पॉवरकट नहीं है। बिजली भी आसपास के सभी राज्यों से सस्ती हैं। शहरी बिजली खपत के जितने भी स्लैब हैं, रायपुर में बिजली का रेट उन सभी में इंदौर, रांची, पटना और भुवनेश्वर से कम ही है। खासकर महीने में 100 यूनिट से 400 से यूनिट तक बिजली जलाने वाले लोवर क्लास से मिडिल क्लास तक रेट में काफी ज्यादा अंतर देख सकते है। स्लैब बढ़ने के साथ-साथ दरें और बढ़ती जाती हैं। कुछ शहर तो ऐसे हैं जहां प्रति यूनिट बिजली की दरें 8 से 9 रुपए तक हैं। यही नहीं, कुल कंजप्शन में जो बिल बनता है, उसमें 50 प्रतिशत छूट अलग है। लेिकन इससे भी जरूरी चीज है चौबीसों घंटे बिजली सप्लाई। राजधानी रायपुर से गांवों तक पॉवर कट के लिए कोई जगह नहीं है।
पानी – गर्मी में भी हर व्यक्ति को रोज 150 लीटर पानी
रायपुर म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के आंकड़ों के मुताबिक हर व्यक्ति को यहां रोजाना 150 लीटर से ज्यादा पानी दिया जा रहा है। 16 लाख की आबादी वाले शहर में पानी की औसत खपत 275 एमएलडी है, जो र्गमी में 270 एमएलडी होती है लेकिन लोगों को सप्लाई का औसत 150 लीटर प्रतिदिन से कभी कम नहीं होता। शहर में पानी1200 किमी लंबी पाइपलाइन बिछी है शहर में। इसके अलावा जिन इलाकों में पाइपलाइन नहीं है वहां टैंकरों के जरिए सप्लाई होती है। शहर में अमृत मिशन का बड़ा काम चल रहा है। निगम के जल विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले केवल दो वर्षों में प्रति व्यक्ति दिए जाने वाले पानी की मात्रा 180 से 200 लीटर हो सकती है।
आवास – देश के बड़े शहरों के मुकाबले सस्ते मकान
रायपुर : देवेंद्रनगर, शंकरनगर और शैलेंद्रनगर जैसी पॉश कालोनियों में टू बीएचके फ्लैट 7 से 10 हजार रुपए महीने के किराए पर हैं। सरकारी-निजी 50 हजार से ज्यादा वन, टू, थ्री बीएचके फ्लैट और बंगले बने हुए हैं। वह भी 6 लाख रुपए से शुरू हैं।
इंदौर : मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर में बेहतर लोकेशन जैसे पलासिया, साकेत, श्रीनगर, किंग्स74, किंग्स 54 को पॉश एरिया माना जाता है। यहां वनबीएचके फ्लैट 7000 रु. मासिक रेंट से शुरू है।
पटना : गांधी मैदान के पास फ्रेजर रोड पटना का बड़ा रिहायशी इलाका माना जाता है। यहा वन बीएचके फ्लैट का रेंट 3000 रुपए से शुरू है, जबकि मकान 15 – 30 हजार रुपए महीने के किराए पर हैं।
रांची : मेन एरिया अशोक नगर में टू बीएचके के मकान या फ्लैट 12 से 15 हजार रुपए के मंथली रेंट पर हैं। हरमू की मुख्य सड़कों के अपार्टमेंट और हरघोड़ा में भी फ्लैट10 से 12 हजार रुपए तक है।
भुवनेश्वर : ओडिशा की राजधानी में मकानों का मंथली रेंट ज्यादा है। नया पल्ली, शास्त्रीनगर और पाटिया में टू बीएचके फ्लैट 11-12 हजार के मंथली रेंट पर हैं। वन बीएचके का रेंट भी 6000 रु. से शुरू है।
चाहे जहां से आए हों सब रायपुर के मुरीद
यहां के लोग सरल हैं, विकास चाहते हैं। सुंदर एयरपोर्ट है, चौड़ी सड़कें और फ्लाईओवर हैं। पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी सुधार हुआ है।
नितिन एम. नागरकर, डायरेक्टर एम्स (मूलत: पंचकूला हरियाणा के रहने वाले हैं)
रायपुर में हर तरह की सुविधाएं हैं। ऐसी कोई चीज नहीं, जो यहां नहीं मिलती। बसाहट काफी सुनियोजित है और लोग आसानी से घुल-मिल जाते हैं।
राकेश आर सहाय,डायरेक्टर, एयरपोर्ट (मूलत: पलामू झारखंड के रहने वाले हैं)
पूरे देश के लिए बेहतर ट्रेन और फ्लाइट कनेक्टिविटी है। बहुत तेजी से डेवलप हो रहा है, इसलिए अन्य शहरों से अलग है। केवल प्रदूषण घटाना होगा।
कौशल किशोर, डीआरएम, रायपुर (मूलत: अलीगढ़ यूपी के रहने वाले हैं)
रायपुर जीवंत शहर है। देशभर के सभी बड़े शैक्षणिक संस्थान यहां आ गए हैं। यह इतना आधुनिक शहर है कि कुछ मामलो में महानगर भी छोटे लगते हैं।
पीके सिन्हा, डायरेक्टर ट्रिपल आईटी (मूलत: पटना बिहार के रहने वाले हैं)
थोड़ी परेशानी है इसलिए ट्रैफिक और धूलभरी हवा – औसतन हर चौराहे पर 1 मिनट में 131 गाड़ियां : घने शहर, खासकर जयस्तंभ चौक से 2 किमी दायरे की अनियंत्रित बसाहट रायपुर में ट्रैफिक सबसे बड़ा सिरदर्द है। जाम का बड़ा कारण शहर में वाहनों की संख्या है। 2019 में करीब 6 लाख वाहन पंजीकृत हैं। यानी 16 लाख की आबादी वाले रायपुर में हर दूसरे व्यक्ति के पास वाहन है। दूसरे राज्यों में पंजीकृत और नेशनल परमिट दोनों को मिलाकर गाड़ियों की संख्या 8 लाख ही है। ट्रैफिक पुलिस का सर्वे बताता है कि शहर के प्रमुख चौक जयस्तंभ, शास्त्री चौक, फाफाडीह, कालीबाड़ी और भगत सिंह चौक में रोज सुबह 10 से रात 10 बजे तक 12 घंटे में 437000 वाहन गुजरते हैं, यानी हर मिनट में औसतन 131 गाड़ियां। इससे जाम इसलिए लगता है क्योंकि सब मिलाकर सड़कों की औसत चौड़ाई महज टू-लेन ही है।