शासन विरुद्ध भूपेश बघेल(वर्तमान मुख्यमंत्री) व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रकरण में गुरुवार को जिला विशेष न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया। न्यायालय ने शिकायतकर्ता की ओर से लगाई गई आपत्तियों को खारिज कर दिया। न्यायालय ने ईओडब्ल्यू को भूपेश बघेल सहित अन्य के खिलाफ दर्ज प्रकरण वापस लेने की अनुमति दे दी है।
प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू की अदालत में हुई। प्रकरण भिलाई-तीन स्थित वसुंधरा नगर में भूपेश बघेल के परिजनों के नाम पर प्लाट आवंटित किए जाने का है।
वर्ष 2016 में विजय बघेल(वर्तमान भाजपा सांसद) की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने इस मामले में भूपेश बघेल सहित अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। उभय पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुनाया।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि आरोपितगण के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा(1) की सहपठित धारा 13(2) के अपराध के तत्व प्रकट नहीं होते। न्यायालय में फैसले में कहा है कि आरोपित भूपेश बघेल द्वारा पदीय हैसियत का दुरुपयोग करते हुए स्वयं अथवा अन्य के अधिलाभ के लिए विधि विरुद्ध साधनों के माध्यम से मूल्यवान चीज या धन संबंधी फायदा प्राप्त किया हो यह भी प्रमाणित नहीं होता।
कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा है कि मामले में विहित तीन हजार वर्गफीट से अधिक भूमि के आवंटन के संबंध में किसी अधिनियम का उल्लंघन मान लिया जाए तो भी यह उस आवंटन कार्रवाई को रद करने का विधिक अधिकार हो सकता है ना कि किसी अपराधिक कार्रवाई के लिए कोई आधार निर्मित करता है।