अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मानव की जिंदगी को लेकर सारगर्भित बात कही है। उनका कहना है कि मानव की जिंदगी में कुछ भी निश्चित नहीं है। कौन कितने पल इस दुनिया में रहेगा, मनुष्य को अहसास होना चाहिए और अपना आचरण उसी के हिसाब से निर्धारित करना चाहिए।
रविवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आध्यात्मिक हो गये। एक इंटरव्यू पर सवाल पूछा गया कि “सिंधिया जी आप अक्सर यह बात क्यों कहते हैं कि मैं कल रहा ना रहा। आप के समर्थकों को इस बयान से तकलीफ होती है।” इस पर सिंधिया ने कहा कि “मैं आध्यात्मिक व्यक्ति हूं।” उन्होंने कहा कि “किसी भी मनुष्य की स्थिति इस दुनिया में पक्की नहीं है। कब किस का बुलावा आ जाए ना मुझे पता है ना आपको पता है। इस पृथ्वी पर रहते हुए हम अपने आपको इतने बड़े योद्धा समझते हैं कि जैसे कोई या कोई चीज हम को छू नहीं सकती। लेकिन यह जिंदगी का सच नहीं है।”
सिंधिया ने कहा कि “मैं भलीभांति परिचित हूं कि कुछ चीज इस दुनिया में परमानेंट नहीं है और आप जितना इस विचारधारा को आत्मसात कर लेंगे कि ना कुर्सी परमानेंट है और ना आपका दुनिया में रहना परमानेंट है, उतना हमारा अहंकार इस दुनिया में कम होगा। लोगों के विरुद्ध नकारात्मक सोच खत्म होकर सकारात्मक सोच आएगी। जिंदगी में बहुत कम अंश भगवान ने हमको इस जिंदगी में दिया है और इस लिए दिया है कि हम प्यार बांटे, अच्छे भाव बांटे, नफरत और दुश्मनी न बांटे। यदि आप ऐसा करते हैं तो उस ईश्वर के दरबार में आप की अगुवाई स्वागत के साथ होगी।” सिंधिया ने अपने स्वर्गीय पिता के साथ हुए हादसे का जिक्र किया और बताया कि किस तरह से जीवन की क्षणभंगुरता का एक बड़ा उदाहरण था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिंदगी पिता के निधन के बाद एक झटके में बदल गई थी।
दो दिन पहले ही ग्वालियर में अनुसूचित जाति के एक सम्मेलन में बात करते हुए सिंधिया भावुक हो गए थे और उन्होंने कहा था कि “कल मैं रहूं या ना रहूं आप लोगों के विकास के कार्य चलते रहेंगे।” इसके बाद उनकी कट्टर समर्थक और मंत्री दर्जा प्राप्त इमरती देवी ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी और भावुक होकर कहा था महाराज आप हैं तो हम हैं।