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सांसद बृजमोहन ने की आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में गर्ल्स हॉस्टल खोलने की मांग

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली/रायपुर। शुक्रवार को नई दिल्ली में संसद की शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, युवा एवं खेल की स्थाई समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने समिति की बैठक में अपने भी सुझाव दिए, जो समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाले हैं। उनका कहना कि किशोरियों की समय से पहले शादी रोकने के लिए उन्हें शिक्षित करना और कौशल विकास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है, जो एक दूरगामी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

उन्होंने पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों में गर्ल्स हॉस्टल के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि रहने की उचित व्यवस्था न होने के कारण कई लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं, और माता-पिता उनकी कम उम्र में ही शादी कर देते हैं। इसके साथ ही, अग्रवाल ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए हर पुलिस थाने में महिला डेस्क और जिलास्तर पर महिला थाना खोलने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि, एससी/एसटी मामलों में जैसे विशेष अधिकारी नियुक्त होते हैं, वैसे ही महिलाओं के लिए भी विशेष अधिकारियों की नियुक्ति होनी चाहिए, ताकि अपराधों पर रोक लगाई जा सके और उन्हें त्वरित न्याय मिल सके।

राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए), राष्ट्रीय लोक सहयोग एवं बाल विकास संस्थान के अधिकारियों व प्रतिनिधियों ने विधेयक पर अपने विचार साझा किए। इस विधेयक के माध्यम से लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के अधिक अवसर प्रदान करना है, जिससे वे अपने जीवन में स्वावलंबी और सशक्त बन सकें। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, “यह विधेयक समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनेगा। लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के लिए अधिक समय और अवसर प्राप्त होंगे। यह केवल एक कानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि समाज को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम है।” उन्होंने यह भी कहा कि , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह विधेयक बालिकाओं को समान अधिकार देने और उनकी उन्नति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम न केवल भारत को एक सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र बनाएगा, बल्कि समाज में जड़ जमा चुकी असमानताओं को भी दूर करने में सहायक होगा।

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