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सर्दियों के लिए उत्तम बलवर्धक प्रयोग

प्रदीप्त जठराग्नि के कारण शीत ऋतु पौष्टिक व बलवर्धक आहार-सेवन के लिए अनुकूल होती है । इस ऋतु में रुक्ष पदार्थों के सेवन एवं अति अल्पाहार से व अधिक उपवास से शारीरिक धातुओं का ह्रास होकर शरीर दुर्बल हो जाता है । सर्दियों में पौष्टिक पदार्थों का सेवन कर सम्पूर्ण वर्ष के लिए आवश्यक बल को सँजोना चाहिए ।

भूख व बल वर्धक मुनक्का-मिश्रण

लाभ : यह पाचक, भूख बढ़ानेवाला एवं बल-वीर्यवर्धक है ।

विधि : 100 ग्राम मुनक्का अच्छे-से धोकर सुखा लें तथा उसके बीज निकाल लें । 4-4 चुटकी काला नमक, सेंधा नमक, काली मिर्च, सोंठ का चूर्ण तथा सेंक के पीसा हुआ जीरा लेकर मिश्रण बना लें । इसे मुनक्का में इस तरह मिलायें कि यह मिश्रण मुनक्का से चिपक जाय । अब मुनक्का को तवे पर हलका-सा सेंक के उतार लें । 4-5 मुनक्का सुबह-शाम सेवन करें ।

प्राकृतिक मिठाई

लाभ : इसके सेवन से रस, रक्त, वीर्य आदि की वृद्धि होती है । धातु की दुर्बलता दूर होती है, बल बढ़ता है एवं शरीर पुष्ट बनता है । यह हृदय एवं मस्तिष्क की कमजोरी को मिटाने में उत्तम है । इससे मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं तथा आँतों की कमजोरी दूर होकर वे मजबूत बनती हैं ।

विधि : एक भाग सेंके हुए तिल या मूँगफली के दाने अथवा नारियल-चूरा तथा दो भाग बिना गुठली के खजूर* एवं थोड़े-से काजू व अखरोट के टुकड़े लें । इन सबको अलग-अलग कूटकर मिला लें । इस पूरे मिश्रण को थाली में रखकर बेलन से बेल के इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें । प्राकृतिक मिठाई तैयार है । इसे लड्डू के रूप में भी बना सकते हैं ।

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नारियल का हलवा

लाभ : इसके सेवन से रस, रक्त, वीर्य आदि की वृद्धि होती है । कमजोर, कृश व्यक्तियों के लिए यह एक पौष्टिक आहार है । इसका सेवन कमजोरी मिटाने एवं बलवृद्धि के लिए उत्तम है ।

विधि : 125 ग्राम सूखे नारियल को काला छिलका उतार के कद्दूकश कर लें और थोड़े-से घी में हलका-सा सेंक लें । उतना ही पुराना गुड़ हलकी आँच पर पिघला के उसमें नारियल की गिरी मिलाकर हलकी आँच पर सेंकें । जब यह हलवा जैसा हो जाय तो 25 ग्राम शुद्ध घी* डालकर थोड़ा और सेंकें व उतार लें । इसे 20-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कर सकते हैं ।

मूँगफली की पौष्टिक चिक्की

लाभ : सर्दियों में इस पौष्टिक चिक्की का सेवन शरीर को पुष्ट, बलवान एवं सुडौल बनाता है । इसके सेवन से बल-वीर्य की वृद्धि होती है और रक्त की वृद्धि तथा शुद्धि होती है ।

विधि : 250 ग्राम मूँगफली के दाने सेंक के उन्हें रगड़कर तोड़ते हुए उनके छिलके अलग कर लें । थोड़ी सौंफ कूट लें ।

लोहे की कड़ाही में 200 ग्राम गुड़ (पुराना अर्थात् एक वर्ष पुराना हो तो अच्छा) मसलकर डाल दें और गरम करें । इसे लोहे के चमचे या कलछी से हिलाते-चलाते रहें । जब गुड़ अच्छा पिघल जाय तब इसमें कुटी हुई सौंफ और सेंके हुए मूँगफली के दाने डाल दें । जब थोड़ा गाढ़ापन आने लगे तब उतार लें और थाली में फैला दें । जमने पर इसे काट लें ।

सस्ता व गुणकारी पुष्टिवर्धक प्रयोग

लाभ : यह प्रयोग पूरे शीतकाल में किया जाय तो शरीर खूब हृष्ट-पुष्ट, सुडौल और बलवान हो जायेगा ।

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विधि : रात में 50 ग्राम देशी चने पानी में भिगो दें । सुबह उसी पानी में चने उबाल लें । उबलने पर चने में पिसी काली मिर्च व सेंधा नमक बुरक दें । इसमें नींबू निचोड़ के हरा धनिया, टमाटर, पालक आदि भी काट के डाल सकते हैं । इसका सुबह चबा-चबाकर सेवन करें । साथ में गुड़ का सेवन भी कर सकते हैं । जिनकी पाचनशक्ति मजबूत हो वे चने बिना उबाले भी खा सकते हैं ।