सरकार की नई पहल! प्लास्टिक का विकल्प बनेगा बांस लाखों में होगी कमाई, जानिए इसके बारे में सबकुछ
प्लास्टिक (Single Use Plastic) पर बैन के बाद अब बांसप्लास्टिक के सामान का बड़ा विकल्प बनने जा रहा है. घर बनाने से लेकर फर्नीचर तक सब बांस के तैयार हो रहे हैं. मोदी सरकार ने इसकी खेती और बिजनेस के लिए एक बड़ा प्लान बनाया है, जिसमें वो किसानों को हर पौधे पर 120 रुपये की मदद भी दे रही है. इस स्कीम के बारे में जानिए और फायदा उठाईए. पीएम नरेंद्र मोदी सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की कई बार अपील कर चुके हैं. खादी ग्रामोद्योग आयोग ने बांस की बोतल को लॉन्च कर दिया है.
क्या है राष्ट्रीय बैंबू मिशन?
कृषि मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी अल्का भार्गव ने बताया कि मोदी सरकार ने बांस की खेती का बड़ा प्लान बनाया है. इससे बिजनेस की बड़ी संभावना बन रही है. इसके लिए राष्ट्रीय बैंबू मिशन बनाया गया है. ताकि इसकी खेती और बिजनेस बढ़े. हर राज्य में मिशन डायरेक्टर बनाए गए हैं. वो जिलेवार अधिकारी तय कर रहे हैं कि कौन इस काम को देखेगा. इसमें एग्रीकल्चर , फॉरेस्ट और इंडस्ट्री तीन विभाग शामिल है. इंडस्ट्री इसके प्रोडक्ट की मार्केट बताएगी.
बांस से क्या-क्या बना सकते हैं आप?
बांस की बोतलें बना सकते हैं. यह कंस्ट्रक्शन के काम आ रहा है. आप इससे घर बना सकते हैं. फ्लोरिंग कर सकते हैं. फर्नीचर बना सकते हैं. हैंडीक्रॉफ्ट और ज्वैलरी बनाकर कमाई कर सकते हैं. बैंबू से अब साइकिलें भी बनने लगी हैं. कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का दावा है कि सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रुड़की ने इसे कंस्ट्रक्शन के काम में लाने की मंजूरी दी है. अब शेड डालने के लिए सीमेंट की जगह बांस की सीट भी तैयार की जा रही है. हरिद्वार में रेलवे ने इसी से स्टेशन का शेड बनाया है.
किसान को कितनी सहायता मिलेगी?
>>तीन साल में औसतन 240 रुपये प्रति प्लांट की लागत आएगी. जिसमें से 120 रुपये प्रति प्लांट सरकारी सहायता मिलेगी.
>>नार्थ ईस्ट को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए 50 फीसदी सरकार और 50 फीसदी किसान लगाएगा.
>>50 फीसदी सरकारी शेयर में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी होगी. जबकि नार्थ ईस्ट में 60 फीसदी सरकार और 40 फीसदी किसान लगाएगा. 60 फीसदी सरकारी पैसे में 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार का शेयर होगा.
>>हर जिले में इसके नोडल अधिकारी बनाए गए हैं वो आपको पूरी जानकारी दे देंगे
सितंबर में ही झारखंड सरकार ने दो दिवसीय बांस कारीगर मेले का आयोजन किया था. जिसमें सीएम ने कहा कि बांस की खेती करने वाले किसानों को सरकार चीन और वियतनाम भेजेगी. वहां वे बांस के प्रोड्क्टस बनाने की ट्रेनिंग लेंगे और फिर मास्टर ट्रेनर बनकर यहां अन्य किसानों को ट्रेनिंग देंगे.
कितने साल में तैयार होती है खेती?
>>बांस की खेती आमतौर पर तीन से चार साल में तैयार होती है. चौथे साल में कटाई शुरू कर सकते हैं.
>>इसका पौधा तीन-चार मीटर की दूरी पर लगाया जाता है इसलिए इसके बीच की जगह पर आप कोई और खेती कर सकते हैं.
>>इसकी पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल हो सकती हैं. बांस लगाएंगे तो फर्नीचर के लिए पेड़ों की कटान कम होगी. इससे आप पर्यावरण रक्षा भी करेंगे.
>>अभी हम काफी फर्नीचर चीन से मंगा रहे हैं, इसलिए आप इसकी खेती से इंपोर्ट कम कर सकते हैं.
कितनी होगी कमाई?
>>जरूरत और प्रजाति के हिसाब से एक हेक्टेयर में 1500 से 2500 पौधे लगा सकते हैं.
>>अगर आप 3 गुणा 2.5 मीटर पर पौधा लगाते हैं तो एक हेक्टेयर में करीब 1500 प्लांट लगेंगे. साथ में आप दो पौधों के बीच में बची जगह में दूसरी फसल उगा सकते हैं.
>>4 साल बाद 3 से 3.5 लाख रुपये की कमाई होने लगेगी. हर साल रिप्लांटेशन करने की जरूरत नहीं. क्योंकि बांस की पौध करीब 40 साल तक चलती है.
>>दूसरी फसलों के साथ खेत की मेड़ पर 4 गुणा 4 मीटर पर यदि आप बांस लगाते हैं तो एक हेक्टेयर में चौथे साल से करीब 30 हजार रुपये की कमाई होने लगेगी.
>>इसकी खेती किसान का रिस्क फैक्टर कम करती है. क्योंकि किसान बांस के बीच दूसरी खेती भी कर सकता है.
निजी जमीन पर नहीं लगेगा वन कानून लेकिन…
जनवरी 2018 में केंद्र सरकार ने बांस को पेड़ की कैटेगरी से हटा दिया. हालांकि ऐसा सिर्फ निजी जमीन के लिए किया गया है. जो फारेस्ट की जमीन पर बांस हैं उन पर यह छूट नहीं है. वहां पर वन कानून लागू होगा.
136 तरह की प्रजातियां
सरकारी नर्सरी से पौध फ्री मिलेगी. इसकी 136 प्रजातियां हैं. अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग बांस की किस्में. लेकिन उनमें से 10 का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है. यह देखकर प्रजाति का चयन करना होगा कि आप किस काम के लिए बांस लगा रहे हैं. अगर फर्नीचर के लिए लगा रहे हैं तो संबंधित प्रजाति का चयन करना होगा.