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सनातन, राम मंदिर या फिर राहुल…किस वजह से पार्टी छोड़ रहे कांग्रेसी?

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम,रायपुर/दिल्ली। कांग्रेस नेताओं की एक लंबी लिस्ट है जिन्होंने पार्टी को बाय बाय कहा है। पूरे देश में एक मोटे आंकड़े के अनुसार 4 लाख से भी ज्यादा छोटे-बड़े कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी से रूखसत कर गए है। कैप्टन अमरिंदर सिंह से शुरू हुआ सिलसिला गुलामनवी आजाद, माधवराव सिंधिया, जितिन प्रसाद, अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा, बाबा सिद्दीकी, गौरव वल्लभ, जैसे कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया। इन नेताओं के कांग्रेस छोडऩे के साथ ही वजहों को लेकर अटकलों का दौर लगातार गर्म है। हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस वजहों को दूर कर नेताओं को पार्टी के प्रति वफादार बनाए रखने को लेकर कतई गंभीर नहीं दिखती। नेताओं के पलायन पर चिंतन करने के बजाय पार्टी के जिम्मेदार भाजपा पर प्रलोभन और पार्टी तोडऩे का आरोप लगा कर अपने नीति और सिद्धांतो को बेहतर बताती रही है।

कांग्रेस ने भाजपा वाशिंग मशीन कहा

सबसे हैरत की बात ये है कि कांग्रेस छोड़ जाने वाले नेताओं को लेकर पार्टी ने भी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा कि लोग डर के मारे हमसे दूर भाग रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने कुछ गलत किया है, जो सिद्धांतों पर है उसे कोई नहीं डरा सकता है। कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे उनमें से अधिकांश वॉशिंग मशीन के माध्यम से पाक-साफ हो गए हैं।

छग में नाराज कांग्रेसियों को मनाने समिति गठित

छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने लोकसभा चुनाव से पहले नाराज नेताओं को मनाने के लिए संवाद और संपर्क समिति का गठन किया है। पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धनेंद्र साहू इस समिति के संयोजक होंगे। साथ ही समिति के लोग कार्यकर्ता और पार्टी के बीच समन्वय बनाने का काम करेंगे। जारी हुई इस सूची में 2 पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, 6 पूर्व मंत्री, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष समेत पार्टी के सीनियर नेताओं को शामिल किया गया है।

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ये होंगे समिति के सदस्य: संवाद और संपर्क के लिए बनाई गई कमेटी के संयोजक पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू होंगे। मोहन मरकाम, सत्यनारायण शर्मा, मोहम्मद अकबर, प्रेमसाय सिंह, जयसिंह अग्रवाल, अनिला भेडिया, उमेश पटेल, धनेश पाटिला, गुरूमुख सिंह होरा, राजेन्द्र तिवारी, पद्मा मनहर, शैलेश नितिन त्रिवेदी और आदितेश्वर शरण सिंहदेव सदस्य होंगे। समिति पार्टी के कार्यकर्ताओं से चर्चा करेगी, कार्यकर्ताओं की नाराजगी, उनकी मांग, उनके सुझाव सब कुछ पीसीसी तक पहुंचाने का काम इसी समिति का होगा।

चुनावी मौसम में 40,000 से अधिक से बदला दल: छत्तीसगढ़ में चुनावी मौसम में पार्टी छोडऩे वालों की संख्या थम नहीं रही है। पंचायतों से लेकर जिला और प्रदेश स्तरीय नेताओं का दूसरी पार्टी में जाने का क्रम जारी है। भाजपा का दावा है कि बीते तीन माह में विभिन्न पार्टियों के पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं सहित 40,000 से अधिक समर्थक भाजपा में आ चुके हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल ने कहा, प्रदेश में विभिन्न पार्टियों के 40,000 से अधिक पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भाजपा में प्रवेश किया है। किसी को दबाव डालकर पार्टी में प्रवेश नहीं कराया जा सकता है। नीतियों और विचारधाराओं से प्रभावित होकर भाजपा में प्रवेश कर रहे हैं। राजनीति के जानकार डा. अजय चंद्राकर का कहना है कि पार्टी बदलना अब साधारण सी बात हो गई है। वर्तमान में पार्टी विचारधारा नगण्य हो गई है। जब कोई नेता लंबे समय तक पार्टी में रहता है और उन्हें विभिन्न पद और सम्मान मिलते रहता है तो उनकी महत्वाकांक्षाएं और बढ़ जाती है। वे पार्टी से और ज्यादा मिलने की सोचने लगते है। ऐसा नहीं होता है तो वे पार्टी बदल देते हैं।

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