पंखों का इस्तेमाल तो हम सभी अपने घर, स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में करते हैं, क्योंकि हमें गर्मी से बचाता है जिस जगह हम बैठकर अपना काम करते हैं वहां ठंडक बनी रहती है. पंखे का इस्तेमाल सदियों पुराना है जो आज भी ज्यादातर घरों में उपयोगी है, हालांकि आजकल कूलर और एयरकंडीशन होने की वजह से इसका इस्तेमाल कम हो गया है लेकिन मिडिल क्लास फैमिली और कई जगहों पर पंखा आज भी शान से लगा हुआ है और इस्तेमाल होता है।
बात अगर भारतीय संसद की करें तो यहां एक अनोखी बात देखने को मिलती है, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है और वो वजह है यहां के पंखों को उल्टा होना। जब ये संसद बनाई गई तो इसका गुंबद बहुत ही ऊंचा बनाया गया और सेंट्रल हॉल का गुंबग पूरे संसद का मेन प्वाउंट है। उस समय जब पंखे लगाने की बारी आई तो छत बहुत ही ऊंची होने के कारण सीलिंग फैन लगाना बहुत मुश्किल हो रहा था और फिर लंब डंडे के जरिए पंखे लगाने की बात हुई लेकिन ऐसा हो ना सका। बहुत ज्यादा लंबा डंडा लगाना भी किसी को सही नहीं लग रहा था इसलिए फिर सेंट्रल हॉल की छत की ऊंचाई को ध्यान में रखकर अलग से खंबे लगाए गए और उनपर उल्टे पंखे लगाए गए थे
दरअसल, पंखे उल्टे लगे होने के पीछे विशेषज्ञ मानते हैं कि ये ये शुरू से ही इसी तरह लगे हुए हैं। ऐसे में सालों से संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इनके साथ कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसके चलते ये आज भी उल्टे ही लगे हुए हैं।