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श्रीमद्भागवत कथा में छठवें दिन हुआ कृष्ण और रुक्मणी विवाह प्रसंग, सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्मं दर्शन।  अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन इकाई छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय राकेश गौतम के मूर्ति अनावरण के उपलक्ष्य में (भोजपुरी भवन रावाभाठा RTO आफिस के पीछे) आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचिका देवी चित्रलेखा ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया।

भजन में जमकर थिरके श्रद्धालु  

कथा वाचिका देवी चित्रलेखा ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही सुंदर भजन मेरी लगी श्याम संग प्रीति,ये दुनिया क्या जाने पर श्रद्धालुओं से भरे पंडाल श्रोताओ नगरवासी नाचते झूमते हुए आनंदित होकर मनमुग्ध हो गये।

जीव परमात्मा का अंश है

कथा वाचिका देवी चित्रलेखा ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। देवी चित्रलेखा ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे।

जीव में अभिमान आते ही भगवान दूर हो जाते हैं

श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा प्रारंभ करते हुए कथा वाचिका देवी चित्रलेखा ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामथ्र्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए देवी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। विवाह मे भगवान शंकर का रासलीला में शामिल होने का भी वर्णन किया।

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कथा में इनकी रही मौजूदगी

वहीं अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूफी संत डॉक्टर जौहर मियां शाफियाबादी ने अस्वस्थता के कारण उपस्थित ना होने का खेद प्रकट किया यूट्यूब चैनल मे लाइव होकर शुभकामना वाचन किया और देवी चित्रलेखा जी का अभिनंदन सहित आयोजन समिति के सफल आयोजन के लिए कृतज्ञता व्यक्त किया। कथा पंडाल में अनेकों भक्तगण भोजपुरी समाज के सम्मानित सदस्य एवं पदाधिकारी गण सहित नगरवासी समाज के प्रतिष्ठित जनमानस तथा मौजूद रहे श्रद्धालुओ ने डा.जौहर मियां साहब के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना किया।
आज के कथा श्रवण करने प्रमुख रूप से नगर निगम बिरगांव के प्रथम नागरिक (महापौर) नंदलाल देवांगन, पूर्व विधायक नंदे साहू,पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुभाष तिवारी,सहित हजारों-हजार श्रद्धालुगण उपस्थित थे।

अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन इकाई छत्तीसगढ़ के प्रदेश मीडिया प्रभारी (पूर्व) प्रमोद गौतम में जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा का सातवां दिन सुबह 10:00 बजे से कथा प्रारंभ होगी जिसमे सुदामा चरित्र,भागवत कथा का सार,का सुंदर वर्णन कर दोपहर 01:00 बजे तक पूर्ण होने के बाद हवन पूजन एवं महा भंडारा 04:00 बजे से आपके आगमन तक रखा गया है। भोजपुरी समाज के प्रदेश अध्यक्ष मुक्त नाथ पाण्डेय जी एवं कथा आयोजन समिति ने निमंत्रण (नेवता) देकर सभी श्रद्धालुओ, भक्तजनों, एवं नगरवासियों से पधारने का विनम्र आग्रह किया गया है।