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वो डॉक्टर जिसने बताया था पाकिस्तान में लादेन का पता

पाकिस्तान की एक अदालत बुधवार को एक बेहद दिलचस्प अर्जी पर सुनवाई करने जा रही है। अर्जी एक डॉक्टर को रिहा करने की है। इनका नाम है डॉक्टर शकील अफरीदी। डॉक्टर अफरीदी पर आरोप है कि उन्होंने अल-कायदा के आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को पकड़वाने में अमेरिका की मदद की थी। इस अर्जी पर पेशावर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। ये पहला मौका है जब पाकिस्तान में कोई सुनवाई खुली अदालत में हो रही है। डॉ शकील अफरीदी पर साल 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने वाले अमेरिकी ऑपरेशन में मदद पहुंचाने का आरोप तो है लेकिन उन पर कभी औपचारिक रूप से केस दर्ज नहीं हुआ।

डॉ अफरीदी हमेशा से ये कहते आए हैं कि उनके मामले की कभी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई। जब डॉ अफरीदी को जेल भेजा गया तो इसका काफी विरोध हुआ। विरोध इस हद तक हुआ कि अमेरिका उनकी हर साल की जेल की सजा के लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में से 3.3 करोड़ डॉलर की कटौती करने लगा।

इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने साल 2016 में अपने चुनावी अभियान के दौरान कहा था कि वो राष्ट्रपति बने तो डॉक्टर अफरीदी को ‘दो महीने’ में रिहा करा लेंगे, मगर ऐसा हुआ नहीं।

अमेरिका में हीरो, पाकिस्तान में विलेन

डॉक्टर शकील अफरीदी को अमेरिका में नायक माना जाता है जबकि पाकिस्तान में कई लोग उन्हें एक ऐसा ‘गद्दार’ मानते जो अपने देश के लिए शर्मिंदगी की वजह बना।

पाकिस्तान में लोगों का मानना है कि डॉ अफरीदी की मदद से ही अमेरिकी नौसैनिकों ने 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को मारकर बिना किसी चुनौती के वापस चले गए। इतना ही नहीं, उन्होंने लादेन के शव का अता-पता भी नहीं चलने दिया।

इन सबने पाकिस्तान की सुरक्षा नीति की बागडोर चलाने पाकिस्तानी सेना पर असहज सवाल खड़े कर दिए। सवाल ये था कि क्या पाकिस्तानी सेना को ये पता भी है कि ओसामा बिन लादेन उनके देश में था?

नतीजा ये हुआ कि अमेरिका के नेतृत्व में चल रही इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान आज भी एक ‘असहज सहयोगी’ के रूप में नजर आता है।

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कौन हैं डॉ शकील अफरीदी?

डॉ अफरीदी पाकिस्तान के कबाइली खैबर जिले में बड़े डॉ के तौर पर काम करते थे। अमेरिका के फंड से चलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं और कई टीकाकरण कार्यक्रमों के प्रमुख थे। एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर उन्होंने कई शहरों में हेपेटाइटिस बी के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाए थे। उनमें से एक वो एबटाबाद शहर भी था जहां ओसामा बिन लादेन पाकिस्तानी सेना की नाक के नीचे रह रहे थे।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी की योजना था कि वो एबटाबाद में रह रहे किसी बच्चे के खून का सैंपल ले सके ताकि डीएनए टेस्ट के जरिए पता चल सके कि उनका ओसामा बिन लादेन से कोई रिश्ता है या नहीं।

ऐसा कहा जाता है कि डॉक्टर अफरीदी के स्टाफ के एक व्यक्ति ने वहां से खून का सैंपल इकट्ठा किया। हालांकि ये मालूम नहीं है कि अमेरिका को इससे बिन लादेन की लोकेशन खोजने में मदद मिली या नहीं। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के 20 दिन बाद यानी 23 मई, 2011 डॉक्टर अफरीदी को को हिरासत में ले लिया गया। उस वक्त उनकी उम्र 40 के करीब रही होगी।

छिपता फिरता है डॉक्टर अफरीदी का परिवार

डॉक्टर अफरीदी की निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। हां, ये जरूर पता है कि वो एक गरीब परिवार से आते थे और उन्होंने साल 1990 में खैबर मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था।

उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद से उनका परिवार इधर-उधर छिपता रहता है क्योंकि उन्हें जानलेवा हमलों का डर है। उनकी पत्नी एबटाबाद की एक शिक्षा विशेषज्ञ हैं। पहले वो एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थीं लेकिन पति की गिरफ्तारी के बाद वो कहीं छिपकर रहती हैं। उनके तीन बच्चे हैं- दो बेटे और एक बेटी।

जनवरी 2012 में अमेरिकी अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया था कि डॉक्टर अफरीदी ने अमेरिकी खुफिया विभाग के लिए काम किया था। हालांकि अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सीआईए में अपनी भूमिका के बारे में कितना पता था।

पाकिस्तानी जांचकर्ताओं का कहना है कि जब सीआईए ने डॉक्टर अफरीदी को अपने लिए काम करने पर राजी किया तब उन्हें ये मालूम नहीं था कि इस ऑपरेशन का निशाना कौन था।

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डॉक्टर अफरीदी को जेल क्यों हुई?

शुरुआत में डॉक्टर अफरीदी पर देशद्रोह का आरोप लगा था लेकिन मई, 2012 में उन्हें प्रतिबंधित चरमपंथी समूह लश्कर-ए-इस्लाम को फंड देने का दोषी पाया गया था और इसीलिए उन्हें जेल भेजा गया। लश्कर-ए-इस्लाम अब सक्रिय नहीं है।

उन्हें प्रतिबंधित समूह से संबंध रखने के लिए 33 साल जेल की सजा सुनाई गई। हालांकि बाद में इसे घटाकर 23 साल कर दिया गया था। डॉक्टर अफरीदी पर लश्कर-ए-इस्लाम के लड़ाकों को इमर्जेंसी में चिकित्सकीय मदद पहुंचाने और अपने अस्पताल में बैठकें करने की जगह देने का भी आरोप था।

डॉक्टर अफरीदी के परिजनों ने शुरुआत से इन सभी आरोपों से इनकार किया है। उनके वकीलों का कहना है कि उन्होंने लश्कर-ए-इस्लाम को सिर्फ एक बार पैसे दिए थे और वो भी 10 लाख पाकिस्तानी रुपयों की फिरौती। वो भी तब जब समूह ने उन्हें 2008 में अगवा कर लिया था।

वर्ष 2012 में उन्होंने जेल से ही फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने उन्हें अगवा करके उनका उत्पीड़न किया था। इसके एक साल बाद उन्होंने किसी तरह अपने वकीलों को हाथ से लिखी एक चिट्ठी भेजी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला है।

ये बहुत स्पष्ट नहीं है लेकिन इतना तो सच है कि ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान से पकड़े जाने की वजह से पाकिस्तान को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तानी अधिकारी इस बात से खफा थे कि अमेरिका ने उनकी संप्रभुता का उल्लंघन किया।

वहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करना पड़ा था कि उन्हें ये बिल्कुल नहीं मालूम था कि अल-कायदा का संस्थापक ओसामा बिन लादेन कई वर्षों से एबटाबाद की एक तीन मंजिला इमारत में रह रहे थे।

उस वक्त वाइट हाउस के तत्कालीन आतंकरोधी प्रमुख जॉन ब्रेनन ने कहा था कि “कल्पना से बाहर था कि लादेन बिना किसी सपोर्ट सिस्टम पाकिस्तान में रह रहा था।’ हालांकि पाकिस्तान ने बेनन की बात को खारिज कर दिया था। लेकिन अगर डॉक्टर अफरीदी पर अमेरिका को मदद पहुंचाने का मुकदमा होता तो वो पाकिस्तान के लिए बदनामी की और बड़ी वजह बनता।

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अदालत अब क्यों सुनवाई कर रही है?

इस मामले में अब तक जो भी कानूनी कार्यवाही हुई है वो ब्रिटिश कालीन ‘फ्रंटियर क्राइम रेग्युलेशन’ के तहत हुई है। पिछले साल तक अफगानिस्तान की सीमा से सटे केंद्र शासित आदिवासी इलाके में ‘फ्रंटियर क्राइम रेग्युलेशन’ के तहत ही कार्यवाही होती थी।

एक साल पहले तक इस इलाके की अदालतें अलग तरह से काम करती थीं। इनमें आदिवासी समुदाय के लोगों की भूमिका ही महत्वपूर्ण होती थी और वो तय कार्यवाही का पालन करने के लिए बाध्य नहीं होती थीं।

पाकिस्तान सरकार के लिए भी डॉक्टर अफरीदी के मामले से निबटने के लिए ये आसान तरीका था क्योंकि ये बाहरी दुनिया की नजरों से दूर था। हालांकि अब कबाइली इलाकों का खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में विलय कर दिया गया। नतीजन डॉक्टर अफरीदी का मामाला भी पेशावर हाई कोर्ट तक पहुंच गया।

बुधवार को होने वाले सुनवाई में डॉक्टर अफरीदी की जेल की सजा कम भी हो सकती है और बढ़ भी सकती है। पिछले साल डॉक्टर अफरीदी को पेशावर जेल से पंजाब की एक जेल में शिफ्ट किया गया था। उसके बाद से ऐसी चर्चा भी है कि उन्हें रिहा किया जा सकता है।