मैगफ्रीशियम कारर्बोनेट, निकोटिन व मिनरल ऑयल युक्त पान मसाला व फ्लेवर्ड सुपारी की बिक्री पर लगी रोक का असर दिखने लगा है। सबसे ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में पड़ रहा है। पान मसाले व फ्लेवर्ड सुपारी की कालाबाजारी के चलते खुदरा विक्रेताओं ने दरें बढ़ा दी। बड़े विक्रेताओं के स्टॉक करने से यह दरें बढ़ी है। सरकारी आदेश का फायदा बड़े विक्रेता उठाने लगे हैं और कल से ही कई बड़े थोक विक्रेताओं ने यह कहकर सप्लाई रोक दी कि आगे से ही माल नहीं आ रहा। दूसरी तरफ विभाग की ओर से मैगफ्रीशियम कार्बोनट व निकोटिन, तंबाकू की जांच के लिए सेंपल लेने तो शुरू कर दिए लेकिन असलियत यह है कि प्रदेश की कई प्रयोगशालाएं बंद पड़ी है। आखिर जांच के लिए चुनींदा प्रयोगशाला ही बची है ऐसे में सेंपलों की जांच के सेंपल पड़े रहने के आसार हो रहे हैं। विभाग के दोहरे मापदंड के चलते कारोबारियों को ही इसका फायदा होता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप विभाग ने मैगफ्रीशियम कार्बोनेट व तंबाकू युक्त पान मसाले पर रोक तो लगा दी लेकिन विभाग की आधी-अधूरी तैयारी के चलते अभियान पर पानी फिरने के आसार हो गए और पान मसाला कारोबारियों को इसका पूरा फायदा मिलेगा। कल की घोषणा के बाद ही बड़े विक्रेताओं ने सप्लाई रोक दी और इसका फायदा उठाते ही छोटे विक्रेताओं ने खासकर ग्रामीण इलाकों में पान मसाले की दरें बढ़ा दी। पांच रूपए वाला पान मसाला सात से दस रूपए, पांच रूपए की मिराज दस रूपए में, रजनीगंधा, तानसेन, पान बहार, विमल, गोल्ड मोहर समेत कई ब्रांड के पान मसाले व तंबाकू ब्रांड की कीमतों में दोगुनी तक बढोतरी हो गई। विभाग के अफसर अब यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि बिना मैगफ्रीशियम कार्बोनेट, निकोटिन युक्त पान मसाले की दरों पर अंकुश लगाना हमारे हाथ में नहीं है। संबंधित ब्रांड की कंपनियां ही अंकुश लगा सकती है। ग्रामीण इलाकों के खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि सरकार के इस आदेश से यह मैसेज गया कि पान मसाला पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया। ऐसे में ज्यादातर विक्रेताओं ने स्टॉक करना शुरू कर दिया और प्रोडक्ट नहीं मिलने पर छोटे विक्रेताओं को बचे हुए पान मसाले की दरें बढ़ा दी। दूसरी तरफ कई प्रयोगशालाएं बंद होने से विभाग के खाद्य निरीक्षकों के सामने यह संकट खड़ा हो गया कि सेंपलों की जांच कैसे होगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक फूड रवि प्रकाश शर्मा से सवाल-जवाब
सवाल- विभाग ने मैगनीशियम कारर्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू व मिनरल ऑयल युक्त पान मसाले की जांच के लिए भरतपुर, चूरू, जालौर, बीकानेर, नाथद्बारा समेत कई प्रयोगशालाएं बंद है, सेंपलों की जांच कैसे होगी?
जवाब- इन शहरों की प्रयोगशालाएं एक-दो माह बाद चालू जाएंगी। फिलहाल इन प्रयोगशालाओं में संसाधन नहीं है और एनएबीएल से सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है।
सवाल- इन शहरों के सेंपलों की जांच कहां होगी, छह लैब चालू है, उनमें पहले से ही वर्कलोड ज्यादा है, ऐसे में सेंपलों के रिजल्ट आने में महीनों लगेंगे और विभाग कैसे सख्ती दिखा पाएगा?
जवाब- देखिए विभाग रणनीति बना रहा है, जांच रिपोर्ट जल्दी आए।
सवाल- विभाग के आदेश से तो पान मसाले की दरें बढ़ गई और विक्रेता माला-माल हो गए, आदेश का असर ही उल्टा हो गया, ऐसे में विभाग क्या कदम उठाएगा?
जवाब- इसके बारे में भी जांच करवाएंगे, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, जांच के लिए सेंपल लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
थोक विक्रेताओं ने कहा, कंपनी से नहीं आ रही सप्लाई, इसलिए पान मसाले की बढ़ी दरें
रजनीगंधा के मार्केटिंग हैड आर के भाला ने कहा कि दरें बढ़ने के मामले में वे कुछ नहीं कह सकते। राजस्थान से उनका तबादला गुजरात में हो गया है। सीएंडएफ ही रजनीगंधा की दरें बढ़ने के बारे में बता सकते हैं कि क्यों कालाबाजारी हो रही है।राजस्थान के थोक विक्रेता अमित चिरानियां नेकहा कि इलेक्ट्रॉनिक व कुछ पिं्रट मीडिया की खबरों से असमंजस फैल गया कि पान मसाला व तंबाकू पर प्रतिबंध हो गया, इसके कारण कालाबाजारी शुरू हो गई। कंपनी माल की सप्लाई नहीं कर रही। ऐसे में छोटे विक्रेताओं ने दरें बढ़ा दी। गोल्ड माहर के थोक विक्रेता अनूप खांडिया ने कहा कि कंपनी ने सप्लाई रोक दी, इसके कारण कालाबाजारी शुरू हो गई। कुछ लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। सरकार के आदेश का असर उल्टा हो गया। इसी तरफ विमल, पान बहार के थोक विक्रेताओं ने भी कहा कि असमंजस की वजह से कालाबाजारी को बढ़ावा मिला है।