रिपब्लिक डे से पहले दिल्ली में आतंकी साजिश का खुलासा, पाकिस्तान में रची जा रही थी दिल्ली में हमले की साजिश
दिल्ली पुलिस ने बीते दिनों दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जांच में पाया है कि ये भारत में लक्षित हत्याओं की योजना बना रहे थे। इसके लिए ये चार अन्य व्यक्तियों के भी संपर्क में थे। सभी के पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल अंसार और हिजबुल मुजाहिदीन से संबंध थे। दिल्ली पुलिस के मुताबिक नौशाद अली और उसका सहयोगी जगजीत सिंह उर्फ जग्गा दोनों हरकत-उल अंसार संगठन के नजीर भट, नासिर खान और नजीर खान और हिज्बुल मुजाहिदीन के नदीम के संपर्क में थे। इस संगठन को भारत के अलावा कनाडा में भी आतंकी संगठन घोषित किया गया है।
गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा बढ़ी
दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह से कुछ दिन पहले हुए इन खुलासे के बाद आयोजन के लिए भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने पाया है कि ये दोनों सुनील राठी, नीरज बवाना, इरफान छेनू, हाशिम बाबा, इबल हसन और इमरान पहलवान जैसे कुछ गैंगस्टर्स के संपर्क में थे। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकवादियों को “दक्षिणपंथी हिंदू नेताओं” पर लक्षित हमले करने का काम सौंपा गया था। दिल्ली पुलिस ने पहले भी गैंगस्टर-आतंकवादी मॉड्यूल पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद एनआईए ने भी गैंगस्टरों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामले दर्ज किए थे। जिन गैंगस्टर्स के खिलाफ यूएपीए लगाया गया है, उनमें लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़, विक्रम बराड़, नीरज बवानिया, टिल्लू ताजपुरिया, सुखप्रीत और दिलप्रीत व अन्य शामिल हैं। जांचकर्ताओं का कहना है कि नौशाद अली और जगजीत सिंह के इतिहास की जांच से पता चलता है कि गैंगस्टरों और सीमा पार आतंकवादी समूहों के बीच मिलीभगत थी।
सूत्रों के अनुसार नवंबर 1996 में नौशाद ने 2.25 किलोग्राम आरडीएक्स और 11.5 लाख रुपये के लिए असम के एक अब्दुल्ला शेरवानी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जांचकर्ताओं ने एएनआई को बताया है कि शेरवानी से बरामद आरडीएक्स और पैसा, नौशाद के करीबी सहयोगी और पाकिस्तान स्थित आतंकी मॉड्यूल हरकत-उल अंसार के एक सक्रिय सदस्य नदीम से चुराए गए थे। इस मामले में नौशाद अली और नदीम दोनों पर हत्या और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। एक अन्य आरोपी कश्मीर से बिलाल सिद्दीकी को भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस को पता चला है कि नौशाद ने अपनी पहली हत्या वर्ष 1991 में की थी, जिसमें उसने जहांगीरपुरी इलाके में एक जितेंद्र डाबला को चाकू मारकर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किया था।
पुलिस ने कहा कि बाद में जब उसे जेल भेजा गया, तो उसने लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकवादी असफाक उर्फ आरिफ और हरकत-उल-अंसार के नदीम के साथ संपर्क स्थापित किया। पुलिस ने यह भी पाया है कि जेल में समय काटने के दौरान वह दिल्ली लाल किला गोलीबारी मामले में मौत की सजा पाए पाकिस्तानी आतंकवादी अशफाक उर्फ आरिफ के निकट संपर्क में आया था।
यह अशफ़ाक ही था जिसने बाद में नौशाद को सोहेल से मिलवाया जो एक अन्य पाकिस्तानी लश्कर आतंकवादी था जिसे कश्मीर जेल से स्थानांतरित कर दिया गया था। जगजीत के बारे में बात करें तो पुलिस ने नवंबर 2018 में अपने दोस्त रविंदर सिंह उर्फ हैप्पी के साथ मिलकर उत्तराखंड के रुद्रपुर से इंटरनेट के जरिए एक कार किराए पर ली थी और उसे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तक बुक किया था। “उन्होंने कैब ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी और नवंबर 2018 के आखिरी हफ्ते में वह पंजाब के गुरदासपुर के ऐनोकोट में अपने बहनोई के घर गया। यह तब था जब जगजीत सिंह और रविंदर सिंह दोनों को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था।”
पुलिस ने कहा कि जगजीत बंबीहा गिरोह के संपर्क में तब आया जब वह एक हत्या के मामले में उत्तराखंड की हल्द्वानी जेल में बंद था। बाद में अप्रैल 2022 में दोनों को 20 दिनों की पैरोल पर रिहा कर दिया गया, लेकिन उत्तराखंड के गदरपुर में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े अपराधियों ने उन पर हमला कर दिया। जगजीत फिर पैरोल से बाहर हो गया और खुद को अमृतसर में छिपा लिया। हल्द्वानी जेल में ही सिंह शमशेर सिंह उर्फ शेरा कहलो, उसके भाई हैप्पी कहलो और अर्श दल्ला गैंग के अन्य लोगों के संपर्क में आया था।