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राम जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या जिला प्रशासन ने मांगी अतिरिक्त फोर्स

रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. वहीं अयोध्या मामले में नवंबर महीने में फैसला आने की उम्मीद है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या जिला प्रशासन ने सरकार से अतिरिक्त फोर्स की मांग की है. बताया जा रहा है कि बाहर से आने वाले पुलिसबल को स्कूल, कॉलेज, धर्मशाला, मठ और मंदिरों में ठहराया जाएगा. जिसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारी अभी से व्यवस्था करने में जुट गए हैं. पूरे अयोध्या में हाई अलर्ट है. इसी कड़ी में जगह-जगह चेकिंग की जा रही है.

इससे पहले मुस्लिम पक्ष अपने दिए उस बयान से पीछे हट गया कि अयोध्या के विवादित स्थल के बाहरी हिस्से में स्थित ‘राम चबूतरा’ ही भगवान राम का जन्मस्थल है. साथ ही उसने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की उस रिपोर्ट पर सवाल उठाए जिसमें संकेत दिया गया है कि यह ढांचा बाबरी मस्जिद से पहले स्थित था.

मुस्लिम पक्ष ने बताया उसके रुख में कोई बदलाव नहीं

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके इस रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है कि इस बात के कोई साक्ष्य (सबूत) नहीं हैं कि 2.27 एकड़ का विवादित स्थल भगवान राम का जन्मस्थान था. उन्होंने यह भी कहा कि उनका सिर्फ यही आशय था कि मुस्लिम पक्ष ने फैजाबाद के जिला न्यायाधीश के 18 मई, 1886 के फैसले को चुनौती नहीं दी थी.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘आपकी जो भी आपत्ति हो, भले ही वो कितनी भी मजबूत हो, उस पर हम विचार नहीं कर सकते.’ पीठ ने दीवानी प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों की चर्चा करते हुए यह बात कही. इन प्रावधानों के तहत स्वामित्व वाले मुकदमे के पक्षकार अदालत के आयुक्त की रिपोर्ट पर आपत्ति उठा सकते हैं.

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