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ये शख्स बनेगा दुनिया का पहला ‘टर्मिनेटर’, बोला- मर नहीं रहा, बस बदल रहा हूं

ब्रिटेन के रहने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीटर स्कॉट मॉर्गन दुनिया के पहले टर्मिनेटर यानि आधा मानव और आधा मशीन बनने जा रहे हैं। उन्होंने खुद को विज्ञान के हाथों सौंप दिया है। मॉर्गन का कहना है कि मौत के सामने झुकने के बजाय उससे लड़ना बेहतर है।

दरअसल डॉ. मॉर्गन मांसपेशियों की एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इसके इलाज के लिए उन्होंने एक अनोख तरीका अपनाया है। इसके तहत लंदन के डॉ. पीटर अब इंसान से सायबोर्ग (आधा इंसान, आधा रोबोट) में तब्दील होने का अपना आखिरी चरण पूरा करने जा रहे हैं।

क्या होते हैं सायबोर्ग ऐसे रोबोट को सायबोर्ग कहा जाता है जिसमें इंसानी दिमाग और उसके कुछ अंग सामान्य तरीके से काम करते रहते हैं। जबकि शरीर के कुछ हिस्सों को मशीनों से बदल दिया जाता है। डॉ. पीटर ने दो साल पहले खुद को सायबोर्ग में बदलने का फैसला लिया था। दरअसल डॉक्टरों ने बताया था कि उन्हें मोटर न्यूरॉन डिसीज है। इस बीमारी में मरीज की मांसपेशियां धीरे-धीरे पूरी तरह काम करना बंद कर देती हैं।

मौत के इंतजार के बजाय चुनौती मंजूर डॉ. पीटर ने अपनी बीमारी का पता चलने के बाद मौत का इंतजार करने के बजाय इसके इलाज को एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया। उनकी मंशा है कि वह पूरी तरह से एक रोबोट में तब्दील हो जाएं और लोग उन्हें पीटर 2.0 के नाम से पुकारें।

शरीर के तीन हिस्सों में लगे यंत्र डॉ. पीटर दुनिया के पहले ऐसे शख्स हैं, जिनके शरीर के तीन हिस्सों में यंत्र लगाए जा चुके हैं। इसके लिए जून, 2018 में पीटर को कई सर्जरी के दौर से गुजरना पड़ा। ऑपरेशन कर उनकी खाने की ट्यूब को सीधे उनके पेट से जोड़ा गया। उनके ब्लैडर से कैथेटर जोड़ दिया गया, ताकि मूत्र साफ हो सके। एक और वेस्ट बैग को पेट से जोड़ा गया है, जिससे मल की निकासी में परेशानी न हो। उनके चेहरे के आकार के लिए भी सर्जरी की गई है।

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ब्रिटेन के रहने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीटर स्कॉट मॉर्गन दुनिया के पहले टर्मिनेटर यानि आधा मानव और आधा मशीन बनने जा रहे हैं।