यूरोप में अकाल से सूख रही हैं दर्जनों नदियां, रहस्यमय खजाने आ रहे बाहर, जर्मनी में ‘भूखा पत्थर’ भी मिला
अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, यूरोप। भीषण गर्मी और सूखे की वजह से यूरोप की स्थिति काफी खराब और एक के बाद एक नदी सूखने लगे हैं। दर्जनों नदियों का जलस्तर काफी कम हो गया है और कुछ महीने पहले तक जो नदियां पानी से लबालब भरी रहती थीं, उन नदियों के तल की मिट्टी दिखाई देने लगी है, जिससे यूरोप पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है और नदियों का जलस्तर अगर ऐसे ही कम होता गया, तो गंभीर पेयजल संकट भी उत्पन्न हो सकता है। इन सबके बीच नदियों का पानी सूखने की वजह से अब रहस्यमयी खजाने नदियों से बाहर आ रहे हैं।
स्पेन में कई नदियों का पानी सूखा इस बार स्पेन में जितना बड़ा सूखा पड़ा है, वैसा सूखा पिछले कई दशक में नहीं पड़ा था और नदियों से पुरातत्वविदों को प्रागैतिहासिक काल के रहस्यमय पत्थर बरामद हो रहे हैं, जिनमें हमारी प्रकृति के बारे में कई जानकारियां हासिल हो ससकती हैं। इन पत्थरों को “स्पैनिश स्टोनहेंज” कहा जाता है, जो आमतौर पर नदियों के बांध या फिर किनारों से टिका रहता है। इन स्टोन सर्किल को आधिकारिक तौर पर ग्वाडलपेरल के डोलमेन के रूप में जाना जाता है और स्पेन के कैसेरेस के केंद्रीय प्रांत में वाल्डेकानस जलाशय के एक कोने से ये पत्थर मिले हैं, जहां अधिकारियों के मुताबिक जलस्तर 28 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है। इससे पहले साल 1926 में जर्मनी के पुरातत्वविद ह्यूगो ओबरमायर ने इसे खोजा था, लेकिन साल 1963 में फ्रांसिस्को फ्रेंको की तानाशाही के तहत एक ग्रामीण विकास परियोजना के फेल होने से इस क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी। तब से यह केवल चार बार पूरी तरह से दिखाई दे पाया है।
जर्मनी में निकले ‘भूख के पत्थर’ वहीं, जर्मनी में राइन नदी के किनारे “भूख के पत्थरों” के पुन: प्रकट होने से पिछले सूखे की यादें भी ताजा हो गई हैं। हाल के हफ्तों में जर्मनी की सबसे बड़ी राइन नदी के किनारे ऐसे कई पत्थर दिखाई दिए हैं। वहीं, इन पत्थरों के नदी से निकलने के बाद जर्मनी के लोग बुरी तरह से डर गये हैं और इसे प्रकृति की तरफ से दी गई बहुत बड़ी चेतावनी बता रहे हैं। लोगों का कहना है, कि जब-जब ये ‘भूख के पत्थर’ दिखाई दिए हैं, जर्मनी पर बहुत बड़ा संकट आया है। वहीं, कई लोगों को इन पत्थरों को देखकर पहले पड़े भीषण सूखे की याद आ रही है। फ्रैंकफर्ट शहर के दक्षिण में वर्म्स, और लीवरकुसेन के पास रेनडॉर्फ में देखे गएइ इन पत्थरों को लेकर लोगों के बीच कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं। इससे पहले राइन नदी में ये पत्थर 1947, 1959, 2003 और 2018 में दिखाई दिए थे।
डूबे जर्मन युद्धपोत भी नदी से मिले यूरोप की शक्तिशाली नदियों में से एक डेन्यूब नदी भी गर्मी की वजह से करीब करीब सूख चुका है और इस नदी में पिछले 100 सालों के इतिहास में सबसे कम पानी है। नदी का पानी सूख जाने की वजह से सर्बिया के नदी बंदरगाह शहर प्राहोवो के पास दूसरे विश्व युद्ध दौरान 20 से अधिक जर्मन युद्धपोतों के डूबने का पता चला है। साल 1944 में नाजी जर्मनी के काला सागर बेड़े द्वारा डेन्यूब के किनारे सैकड़ों जहाजों ने डेरा जाला था, क्योंकि सोवियत संघ की सेना से हारने के बाद वो पीछे की ओर लौट रहे थे। वहीं, अब जब नदी का पानी काफी कम हो चुका है, तो नदी में डूब चुके रूसी जहाज के बारे में अलग अलग जानकारियां मिल रही हैं और खुलासा हुआ है, कि हिटलर के 20 से ज्यादा युद्धपोत डूब गये थे।
इटली में नदी क्षेत्र में लगा आपातकाल वहीं, इटली ने पो नदी के आसपास के क्षेत्रों के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है और जुलाई के अंत में देश की सबसे लंबी नदी का पानी अब घुटने के बराबर आ गया है। जिसकी वजह से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान गिराए गये 450 किलो के दो बमिलेल रहे हैं। वहीं, मंटुआ शहर के करीब बोर्गो वर्जिलियो के उत्तरी गांव के पास रहने वाले लगभग 3,000 लोगों को बम मिलने की वजह से क्षेत्र से बाहर निकाल लिया गया और इटली के सैन्य अधिकारी बम को डिफ्यूज करने की कोशिश की। वहीं, वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है, कि आने वाले वक्त में यूरोप और भी ज्यादा गर्मी में शामिल हो जाएगा और कई शहरों में पारा 40 डिग्री को पार कर गया है, जबकि यूरोपीय देशों में सामान्यता पारा 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है। ब्रिटेन में अत्यधिक गर्मी की वजह से बनाए गये सड़क भी पिघल रहे हैं।