Mokshada Ekadashi 2022 Muhurat (मोक्षदा एकादशी व्रत): मार्गशीष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं, इस एकादशी का बड़ा मान है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस दिन इनकी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा करने से इंसान को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस बार एकादशी तिथि शनिवार को प्रारंभ होगी और रविवार को समाप्त होगी लेकिन व्रत इसका शनिवार को ही होगा। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत-पूजा का समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 दिसंबर 05: 39 AM
- एकादशी तिथि समाप्त: 4 दिसंबर, 05: 34 AM
- व्रत का पारण: 4 दिसंबर 07:05 AM से 09:09AM
- मानक है इस बार का व्रत क्योंकि लगा रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग।
पूजा विधि
- सबसे पहले नित्य कार्यों को निपटाकर नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े धारण करें।
- इसके बाद अगर आप उपवास रख रहे हैं तो संकल्प लीजिए।
- अगर व्रत नहीं रख रहे हैं तो व्रत का संकल्प लेने की जरूरत नहीं है।
- इसके बाद अपने पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें।
- फिर उसे कुमकम,रोली, धूप, दीप सिंदूर, तुलसी के पत्ते, फूल, खीर , प्रसाद चढ़ाएं।
- मन में विष्णु जी का ध्यान करें।
- एकादशी की कथा सुनें। आरती करें। प्रसाद बांटे।
- दान-पुण्य करें। व्रत के बाद पारण करें।
मंत्र पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
- मिलेगा दोहरा लाभ ॐ नमोः नारायणाय॥
- ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
- मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
- विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
- लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
- वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
- यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
- सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
- ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
- यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥
खास बातें
कहा जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इसे ‘गीता जयंती’ भी कहते हैं। इसलिए इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ थोड़ी देर के लिए जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान के सुख और ज्ञान में वृद्धि होती है और उस पर श्रीकृष्ण की कृपा हमेशा बरसती रहती है।